Pulwama Attack: पुलवामा के कुछ शहीदों के परिवारों को अब भी नहीं मिली सरकारी नौकरी, संसद में केंद्र ने दिया इसका जवाब

Pulwama Attack: आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की करीब एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है। शहीदों के ऐसे 11 परिवार हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के बालिग होने तक का इंतजार करने की बात कही है।

Update:2023-07-27 14:40 IST
Families of Pulwama Martyrs not Received Government Jobs (Photo: Social Media)

Pulwama Attack: साल 2019 के फरवरी माह में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोड़ दिया था। आज भी उस घटना को याद कर मन विचलित हो उठता है। पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिवारों को सरकारी नौकरी और मुआवजे सरकार की ओर से दिए गए। हालांकि, कुछ परिवारों को अभी नौकरी नहीं मिल पाई है। संसद में इस बाबत सरकार से सवाल पूछा गया, जिसका जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया है।

राय ने इस संबंध में पूछ गए प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए बताया कि आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की करीब एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है। शहीदों के ऐसे 11 परिवार हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के बालिग होने तक का इंतजार करने की बात कही है। जवाब में बताया कि इन परिवारों में कुछ बच्चे सात तो कुछ महज 4 साल के हैं।

अब तक कितनों को मिली नौकरी

पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। अब तक 19 शहीद जवानों के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है। तीन और की नियुक्ति पाइपलाइन में है। बाकी बचे शहीदों के परिवारों को भी जल्द सरकारी नौकरी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सभी 40 शहीद जवानों के परिजनों को मुआवजे की राशि प्रदान की जा चुकी है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि सभी को डेढ़ करोड़ रूपये से लेकर तीन करोड़ रूपये तक की धनराशि दी गई है।

कब हुआ था पुलवामा टेरर अटैक ?

2019 के फरवरी माह में जब पूरा देश आम चुनाव को लेकर सियासी गहमागहमी में व्यस्त था तभी 14 तारीख को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया। 300 किलो विस्फोटक से लदी एक गाड़ी ने काफिले में शामिल बस में टक्कर मार दी थी। यह एक आत्मघाती हमला था। इस वीभत्स हमले में 40 वीर जवानों की शहादत हुई थी। पूरी दुनिया में इस हमले की तीखी निंदा की गई थी। भारत ने अगले ही कुछ दिनों में पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक कर इसका बदला ले लिया था।

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