Kisan Andolan: ‘मोदी के लिए ये काम बड़ा नहीं’, दिल्ली कूच के बीच किसान नेता सरवन पंधेर का बयान

Kisan Andolan: किसान नेता पंधेर ने कहा कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। हमने बैठकों में हिस्सा लिया। हर बिंदु पर चर्चा हुई और अब फैसला केंद्र सरकार को लेना है।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-02-21 07:37 GMT

Kisan Andolan (सोशल मीडिया) 

Kisan Andolan: चार दौर की वार्ता में बात नहीं बनने पर पंजाब के किसानों ने एक बार दिल्ली कूच करने की कोशिश में हैं। आंदोलन के नेतृत्व कर रहे किसान संगठन ने 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया था, जिसके बाद आज सुबह हरियाणा के शंभू और खरौनी बार्डर से दिल्ली जाने की कोशिश की। लेकिन इन बार्डरों पर भारी संख्या में तैनात सुरक्षा बलों ने किसानों को पीछे धकले दिया। शंभू बार्डर की सील सीमाओं को तोड़ने की कोशिश में किसानों के ऊपर पैरामिलिट्री और पुसिल बल के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे। तब से यहां पर तनावपूर्ण की स्थिति बनी हुई है और किसान और सुरक्षा बल आमने-सामने खड़े हैं। दिल्ली कूच के बीच किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मीडिया से बात करते हुए बड़ा बयान दिया है।

सरकार के लिए 2 लाख करोड़ राशि बड़ी नहीं

बुधवार को किसान नेता पंधेर ने कहा कि किसानों की मांग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे आना चाहिए या फिर उन्हें दिल्ली कूच के लिए अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा, एमएसपी कानून बनने के बाद सरकार पर 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जोकि यह राशि सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं। अगर सरकार ऐसा नहीं कर पा रही तो हमें इन बाधाओं को हटाने और दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

फैसला सरकार को लेना

उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। हमने बैठकों में हिस्सा लिया। हर बिंदु पर चर्चा हुई और अब फैसला केंद्र सरकार को लेना है। हालांकि हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे।

मांगे माने या फिर अनुमित दे

वहीं, अन्य किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान, जो सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोके जाने के बाद पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं, सरकार उन्हें अनुमति दे, हम शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।

करनी चाहिए ये व्यवस्थाएं

पंजाब और हरियाणा के बीच सीमाओं पर बहुस्तरीय बैरिकेड्स लगाने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की। दल्लेवाल ने शंभू सीमा पर संवाददाताओं से कहा, हमारा अनुरोध है कि हम शांतिपूर्वक दिल्ली जाना चाहते हैं। सरकार को स्वयं बैरिकेड हटा देना चाहिए और हमें दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति देनी चाहिए और दिल्ली में हमारे बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए।

किसानों को मिला यह प्रस्ताव

बता दें कि रविवार को एक बार फिर किसानों और केंद्र सरकार की बीच बैठक हुई। यह दोनों के बीच चौथी बैठक थी। इस बैठक में सरकार के मंत्रियों के पैनल किसानों को सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास की खरीदारी का प्रस्ताव रखा। सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठन ने ठुकरा दिया। बैठक बेनतीजा होने के बाद एक बार फिर से किसानों ने 21 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया।

फिर से दिल्ली कूच, चले आंसू गैस के गोले

अपनी मांगों को लेकर पंजाब के हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर और ट्रॉली के साथ 14 फरवरी को दिल्ली में प्रदर्शन करने लिए दिल्ली चलो मार्च के लिए निकले थे, लेकिन पजांब से सटी हरियाणा की सीमाएं शंभू और खरौनी बार्डर सील होने की वजह किसान आगे नहीं बढ़ पाए। सबसे अधिक किसान हरियाणा के अंबाला के शंभू बार्डर पर जमा हुए हैं, यहां पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। तब से किसान यहां डेरा डाले हुए हैं और आज एक बार फिर दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अभी इन्हें सफलता नहीं मिली पाई है। सीमा सील तोड़ने की वजह से सुरक्षा बलों के जवानों ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे हैं। बार्डर पर तनाव की स्थिति बनी हुई है।

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