किसान आंदोलन: PM के जवाब से खुलेगा नया रास्ता, कृषि कानूनों पर अहम एलान

विपक्ष ने किसानों की नाराजगी का मुद्दा उठाते हुए नए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग भी की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कृषि कानूनों को लेकर महत्वपूर्ण बातें बोल सकते हैं।

Update: 2021-02-08 05:02 GMT
किसान आंदोलन: PM के जवाब से खुलेगा नया रास्ता, कृषि कानूनों पर अहम एलान (PC: social media)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के तीखे हमलों के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में जवाब देंगे। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने नए कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार की तगड़ी घेरेबंदी की थी।

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विपक्ष ने किसानों की नाराजगी का मुद्दा उठाते हुए नए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग भी की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कृषि कानूनों को लेकर महत्वपूर्ण बातें बोल सकते हैं। जानकारों के मुताबिक संसद में पीएम के जवाब के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के सामने नया फार्मूला पेश किया जा सकता है। ऐसे में हर किसी की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब पर टिकी हुई है।

भाजपा और कांग्रेस की जोरदार तैयारी

राज्यसभा में सोमवार का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन के लिए पक्ष और विपक्ष की ओर से जोरदार तैयारियां की गई हैं। भाजपा की ओर से सभी सांसदों को इस दिन सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी अपने सांसदों को व्हिप जारी करते हुए सोमवार को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है।

विपक्ष ने बोला था जोरदार हमला

पीएम मोदी का जवाब इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि विपक्ष ने चर्चा के दौरान सरकार पर जोरदार हमला बोला था। विपक्ष की ओर से खासतौर पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, दीपेंद्र हुड्डा, शिवसेना के संजय राउत, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा और राजद के मनोज झा आदि ने सरकार को घेरते हुए किसानों के प्रति अमानवीय रवैया अपनाने का आरोप लगाया था।

विपक्ष की मांग थी कि सरकार को इन कानूनों को रद्द कर नए सिरे से इस पर विचार करना चाहिए ताकि अन्नदाताओं की नाराजगी को दूर किया जा सके।

कृषि मंत्री तोमर दे चुके हैं जवाब

राज्यसभा में सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विपक्ष के आरोपों का जवाब दे चुके हैं। तोमर का कहना था कि वे किसानों से दो महीने से यही पूछ रहे हैं कि कृषि कानूनों में काला क्या है ताकि उसे सुधारा जा सके मगर आज तक कोई भी किसान संगठन एक भी ऐसा प्रावधान नहीं बता सका जो किसानों के खिलाफ हो।

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उनका कहना था कि सरकार अगर कृषि कानूनों में बदलाव के लिए तैयार है तो इसका मतलब यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि कृषि कानून में ही खामी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी भी संसद में चर्चा के दौरान कानून के उन प्रावधानों को नहीं बता सका जो किसानों के प्रतिकूल हों। उन्होंने कांग्रेस शासित पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए किसानों को बरगलाने का भी आरोप लगाया।

अब पीएम मोदी के जवाब पर टिकी नजर

कृषि मंत्री के जवाब के बाद हर किसी के नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब पर टिकी है। पीएम मोदी अभी तक विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के आरोपों का तीखा जवाब देते रहे हैं।

ऐसे में इस बार भी पीएम की ओर से विपक्ष पर सियासी तीर छोड़े जाने की संभावना जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि पीएम के संबोधन के दौरान कुछ विपक्षी दलों के वॉकआउट किए जाने की भी संभावना है।

सरकार के प्रयासों का होगा जिक्र

जानकारों के मुताबिक पीएम के जवाब में किसानों का आंदोलन खत्म कराने के लिए सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का जिक्र भी किया जा सकता है। साथ ही आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार की ओर से नई पहल भी की जा सकती है। सरकार पहले ही डेढ़ साल तक तीनों नए कानूनों को टालने की बात स्वीकार कर चुकी है। हालांकि किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव पर रजामंदी नहीं जताई थी। किसान संगठनों ने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

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लंबे समय तक टल सकता है कानून

सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से कानूनों को लंबे समय तक टालने की भी घोषणा की जा सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में सरकार किसानों से विवाद को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं दिख रही है। देखने वाली बात यह होगी कि पीएम मोदी की ओर से जवाब के दौरान क्या महत्वपूर्ण बातें कही जाती हैं।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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