गुस्से में किसानः इसलिए अब पूरे देश में फैलेगा आंदोलन, मोदी से है ये शिकायत

पीएम मोदी भी आंदोलनकारियों के निशाने पर आ गए हैं। राकेश टिकैत कहते हैं कि वे (प्रधानमंत्री) अपने जीवन में कभी भी किसी आंदोलन का हिस्सा नहीं बने।

Update: 2021-02-10 07:40 GMT

रामकृष्ण वाजपेयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनकारी किसानों को आंदोलनजीवी बताये जाने की किसानों में गहरी प्रतिक्रिया हुई है। इसके बाद किसान आंदोलन तेज होकर देश के दूसरे भागों में फैलने की आशंका हो गई है। इसका कारण है किसानों से तमाम दौर की बातचीत के बाद भी उनकी समस्या का हल न निकल पाना। किसानों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि प्रधानमंत्री उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। किसानों के पास नहीं आ रहे हैं। किसानों का कहना है जैसे ही सरकार कृषि कानूनों को रद करेगी किसान आधे घंटे के अंदर घर लौट जाएंगे।

किसान मोदी सरकार से नाराज!

प्रधानमंत्री ने संसद में दिये भाषण के जरिये किसानों को आश्वस्त करने की कोशिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। उन्होंने कहा, 'एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। हमें भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। किसान कह रहा है अगर मंडियां और एमएसपी खत्म नहीं होंगे तो यहां पर आखिर पढ़े-लिखे लोग क्यों बैठे हैं।

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टिकैत का सवाल-हमने कब कहां की एमएसपी खत्म हो रहा

टिकैत का सवाल है कि हमने कब एमएसपी खत्म हो रहा है ये कहां। हमारी मांग तो यह है कि एमएसपी पर एक कानून बनना चाहिए। एमएसपी पर कोई कानून न होने की वजह से ही किसान बिचौलियों के हाथों लूटे जाने पर मजबूर है।

विचारणीय पहलू यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन कि हम सब मिल-बैठकर बात करने को तैयार हैं। मैं आज सदन से सभी को निमंत्रण देता हूं। इस कथन का कोई सकारात्मक असर किसानों पर नहीं हुआ है। किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का यह कहना महत्वपूर्ण है कि किसान आंदोलन अब देश के बाकी हिस्सों में भी फैलेगा।

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पीएम मोदी भी आंदोलनकारियों के निशाने पर

अब तो पीएम मोदी भी आंदोलनकारियों के निशाने पर आ गए हैं। राकेश टिकैत कहते हैं कि वे (प्रधानमंत्री) अपने जीवन में कभी भी किसी आंदोलन का हिस्सा नहीं बने। वास्तव में, उन्होंने राष्ट्र को तोड़ने का काम किया है। उन्हें क्या पता होगा। आंदोलजीवी क्या होता है। टिकैत यहीं नहीं रुकते वह कहते हैं कि भगत सिंह, यहां तक कि लाल कृष्ण आडवाणी भी आंदोलन का हिस्सा थे। लेकिन मोदी पर सवाल कायम है।

किसानों के कार्यक्रम के हिसाब से दो अक्टूबर तक तो आंदोलन चलना है उसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

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