किसान आंदोलन से सरकार को फायदा, 60 दिनों में हुई मालामाल, बढ़ा अरबों का राजस्व
लगभग दो महीनों से जारी किसानों के आंदोलन का फायदा सरकार को हो रहा है। किसान आंदोलन और 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर रैली से सरकार का खजाना काफी बढ़ गया है।
नई दिल्ली : भले ही सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने लगभग दो महीनों से हल्लाबोल कर रखा है लेकिन किसानों के आंदोलन का फायदा सबसे ज्यादा सरकार को ही हो रहा है। दो महीने से जारी किसान आंदोलन और अब 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर रैली से सरकार का खजाना काफी बढ़ गया है।
किसान आंदोलन और ट्रैक्टर रैली से बढ़ा सरकार का राजस्व
दरअसल, कृषि कानूनों को रद्द करने को मांग को लेकर देशभर से हजारों को तादात में किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंच रहे हैं। वहीं 26 जनवरी को होने वाली किसानों की ट्रैक्टर रैली में भी बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर निकलेंगे। ऐसे में किसानों ने सरकार का राजस्व कई गुना बढ़ा दिया है। किसानो के ट्रैक्टरो में पेट्रोल-डीजल का खर्च देखें तो अब तक यह सवा दो अरब यानि 225 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है।
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225 करोड़ रुपये हुए किसान आंदोलन में खर्च
बताया जा रहा है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड में करीब दो लाख वाहन शामिल होंगे।वहीं बीते दो महीनों के आंदोलन के दौरान लगभग दो लाख वाहन ऐसे थे, जो अपनी बारी के हिसाब से दिल्ली की बाहरी सीमा तक आवाजाही करते रहे हैं।
इनके अलावा एक लाख पेट्रोल से चलने वाली कार और बाइक शामिल हैं, जिन्होंने आंदोलन का हिस्सा लिया। किसान आंदोलन शुरू होने से लेकर ट्रैक्टर रैली तक की अबतक करीब पांच लाख से ज्यादा पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों को इस्तेमाल किया गया है। इन वाहनों में अब तक करीब 43 करोड़ रुपये का पेट्रोल-डीजल इस्तेमाल होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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लाखों वाहनों में पेट्रोल-डीजल पर करोड़ों की कमाई
वहीं दो लाख ट्रैक्टर ऐसे रहे हैं, जो पिछले साठ दिनों से किसान आंदोलन में आवाजाही करते रहे हैं। आंदोलन में शामिल ट्रैक्टरों के चलने का औसत किलोमीटर करीब पांच सौ रहा है। इन ट्रैक्टरों में डीजल का लगभग 84 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आया। बता दें कि पेट्रोल के दाम में सेंट्रल एक्साइज और वैट का 63 फीसदी हिस्सा रहता है। डीजल में 60 फीसदी टैक्स होता है।
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