फिच रेटिंग्स में भारतीय अर्थव्यवस्था, जीडीपी ग्रोथ पर एजेंसी ने कहा....
आर्थिक मंदी के बीच फिच रेटिंग्स ने भारत के लिए राहत की खबर दी है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत की लॉन्ग टर्म रेटिंग को 'BBB-' बरकरार रखा है। साथ ही भारत के आउटलुक को भी स्थिर रखा है। अपनी एक रिपोर्ट में इस एजेंसी ने भारत को लेकर कहा, '
नई दिल्ली आर्थिक मंदी के बीच फिच रेटिंग्स ने भारत के लिए राहत की खबर दी है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत की लॉन्ग टर्म रेटिंग को 'BBB-' बरकरार रखा है। साथ ही भारत के आउटलुक को भी स्थिर रखा है। अपनी एक रिपोर्ट में इस एजेंसी ने भारत को लेकर कहा, ' अन्य देशों के मुकाबले भारतीय जीडीपी ग्रोथ को लेकर हमारा आउटलुक बढ़िया है। हालांकि, पिछली कुछ तिमाहियों में ग्रोथ रेट में गिरावट दर्ज की गई है, जिसके पीछे घरेलू फैक्टर्स भी रहे हैं।पिछली कुछ तिमाहियों में विकास दर में आई गिरावट और कारोबारी व उपभोक्ता मनोबल में गिरावट को देखते हुए रेटिंग एजेंसी ने देश का विकास अनुमान घटाया है।
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फिच ने कहा किचालू कारोबारी साल में देश की विकास दर 4.6 फीसदी रह सकती है। यह अनुमान ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स का है। रेटिंग एजेंसी ने इससे पहले 5.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान दिया था। वित्त वर्ष 2021 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 5.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2022 में 6.5 फीसदी रह सकता है। मौजूदा समय के मुकाबले जीडीपी ग्रोथ रेट में यह इजाफा मौद्रिक सहूलियत और फिस्कल पॉलिसी की वजह से होगा। साथ ही, मध्य अवधि में ढांचागत उपायों की वजह से भी इसको सहारा मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया, 'भारत की रेटिंग को लेकर हमारा अनुमान वित्त वर्ष 2020 के लिए केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के आधार पर है, जो वर्तमान में जीडीपी का 3.3 फीसदी है।' मध्यावधि के हिसाब से देखें तो केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने और राजकोषीय घाटे में संतुलन बनाना आसान नहीं होगा।
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पिछले माह ही आर्थिक हालात को देखते हुए मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को स्टेबल से निगेटिव कर दिया था। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार बजट घाटे को कम करने और बढ़ते कर्ज के बीच फंसी है।
फिच ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2020 में आरबीआई अपनी मुख्य ब्याज दर में 0.65 फीसदी और कटौती कर सकता है। फरवरी 2019 के बाद आरबीआई अपनी मुख्य ब्याज दर में कुल 1.35 फीसदी कटौती कर चुका है। फिच ने कहा कि खाद्य कीमतों में अस्थायी बढ़ोतरी के कारण नवंबर में महंगाई दर 5.5 फीसदी दर्ज की गई। लेकिन मौजूदा माहौल में प्रमुख वस्तुओं की महंगाई दर (कोर इन्फ्लेशन) पर दबाव अधिक नहीं है।