Satya Pal Malik : राज्यपाल रहते रहे खामोश, अब क्या दूसरा ‘वीपी सिंह’ बनना चाहते हैं सत्यपाल मलिक!

Satya Pal Malik: बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक अपने बयानों के चलते ट्रेंड पर छाए हैं। मेरठ से भी पुराना नाता रहा है।

Update:2023-04-23 19:36 IST
Satyapal Malik (Image: Social Media)

Meerut News: पांच साल में चार राज्यों- बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक अपने समर्थकों के साथ दिल्ली के आरके पुरम पुलिस थाने क्या पहुंचे अचानक सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे। यहां तक कि सोशल मीडिया पर सत्यपाल मलिक की गिरफ्तारी की खबर वायरल हो गई। इस मामले में बयानवीर नेता बोलना शुरु करते इससे पहले ही दिल्ली पुलिस को बयान जारी कर कहना पड़ा कि उसने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को हिरासत में नहीं लिया है।

पुलवामा अटैक की सुरक्षा खामियों को किया उजागर

दरअसल, दिल्ली में एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने उन सुरक्षा खामियों, सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन और खुफिया विफलताओं के बारे में विस्तार से बात की। जिसके कारण 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। इस इंटरव्यू के बाद से वे सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। कोई उन्हें दूसरा ‘वीपी सिंह’ बता रहा है तो कोई कह रहा है कि पुलवामा से पहले और बाद में केंद्र के इशारे पर सबकुछ करने वाले अब नाखून कटाकर शहीद हो रहे हैं।

ऐसा कहने वालों का मानना है कि अगर उन्होंने फरवरी 2019 में सामने आकर इस तरह के आरोप लगाये होते तो उनकी बात अधिक गंभीरता से सुनी जाती। सत्यपाल मलिक को दूसरा वीपी सिंह बताने वालों का कहना है कि वीपी सिंह ने राजीव गांधी की सरकार से इस्तीफा देकर बोफोर्स का मुद्दा उठाया था। जबकि मलिक राज्यपाल के रुप में अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद अब उन बातों को उठा रहे हैं। जिनको उन्हें राज्यपाल रहते उठाना चाहिए थी।

राज्यपाल रहते चुप्पी साधे रहने पर सवाल

बता दें कि पांच साल में चार राज्यों- बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहते लगातार किसानों के हित में और भ्रष्टाचार पर बोलते तो रहे लेकिन, इस्तीफा मेरी जेब में है कहते ना थकने वाले सत्यपाल सिंह इस्तीफा देने का साहस कभी नहीं जुटा सके। एक बार उन्होंने यहां तक कहा कि जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी कह देंगे कि पद छोड़ दो, मैं उसी दिन गवर्नरशिप छोड़ दूंगा। अब प्रधानमंत्री ने उन्हें कभी इस्तीफा देने को कहा नहीं और उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं।

मेरठ से रहा है पुराना नाता

30 सितंबर को 2022 को मेघालय के राज्यपाल पद से रिटायर हुए सत्यपाल मलिक ने अपना राजनीतिक करियर मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर किया था। वह साल 1974 में उत्तर प्रदेश के बागपत में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे। इसके अलावा साल 1980 से 1992 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। सत्यपाल मलिक साल 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस से जुड़े रहने के दौरान वह राज्यसभा सदस्य भी बने लेकिन लगभग तीन साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह साल 1988 में वीपी सिंह नीत जनता दल के साथ जुड़ गए और साल 1989 में अलीगढ़ से सांसद चुने गए। 2004 में बीजेपी में शामिल हुए सत्यपाल सिंह बागपत सीट से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इस चुनाव में उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह ने हरा दिया। वह 21 अप्रैल 1990 से 10 नवंबर 1990 तक केंद्र में राज्य मंत्री भी रहे थे।

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