पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार के इस फैसले को बताया गैरजरूरी
सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण ये फैसला लिया गया है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी।
नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के बीच केंद्र की मोदी सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने के लिए राहुल गांधी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है। इससे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए असंवेदनशील बताया था।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पड़े आर्थिक बोझ के कारण लिया गया फैसला
केंद्र सरकार ने गुरुवार को अपने लिए गए फैसले में 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था। सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण ये फैसला लिया गया है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी। इस कटौती की वजह से केंद्र और राज्य सरकार के खजाने को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
18 महीने तक सिर्फ 17 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता
कर्मचारियों को 17 की बजाए 21 फीसदी महंगाई भत्ता मिलने की उम्मीद थी। लेकिन अब सरकार ने इस बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को करीब 18 महीने तक सिर्फ 17 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा।
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सरकारी कर्मचारियों पर आर्थिक दबाव
कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस फैसले की तीव्र आलोचना की है। मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस स्टेज पर सरकारी कर्मचारियों और सैन्य बलों पर आर्थिक दबाव डालने की कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने भी इसका विरोध किया और इस फैसले को जले पर नमक छिड़कने जैसा बताया।
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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट रोककर समस्या का निकाला जा सकता है-राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और सेंट्रल विस्टा परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है।