पूर्व राष्ट्रपति की बड़ी अपील! लोकसभा सदस्यों को लेकर पीएम मोदी से कही ये बात

लोकसभा सदस्यों की लगभग दोगुनी संख्या बढ़ाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिमायत की है। 17 दिसंबर सोमवार को एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने कहा कि अब लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 543 से बढ़ाकर एक हजार कर देनी चाहिए।

Update: 2019-12-17 06:09 GMT

नई दिल्ली: लोकसभा सदस्यों की लगभग दोगुनी संख्या बढ़ाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिमायत की है। 17 दिसंबर सोमवार को एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने कहा कि अब लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 543 से बढ़ाकर एक हजार कर देनी चाहिए। साथ ही राज्यसभा की सदस्य संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की आबादी और बहुलता को देखते हुए यह आवश्यक है।

इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित दूसरे अटल बिहारी बाजपेयी स्मृति व्याख्यान में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, अंतिम बार लोकसभा की सदस्य संख्या 1977 में बदली गई। तब 1971 की जनगणना के मुताबिक लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण हुआ। उस टाइम देश की आबादी 55 करोड़ थी। तब से अब तक देश की आबादी दो गुना से ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन पर लगी रोक खत्म होनी चाहिए।

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बहुमत के दुरुपयोग पर सजा भी देती है जनता : प्रणब

पूर्व राष्ट्रपति ने बहुमत के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी दी। उन्होंने कहा, हम सोचते हैं कि यदि सदन में पूर्ण बहुमत मिल जाए तो फिर कुछ भी और कैसा भी कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे लोगों को जनता ने अतीत में अक्सर दंडित किया है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने कहा, संसदीय लोकतंत्र में बहुमत स्थिर सरकार बनाने के लिए मिलता है। अगर पूर्ण बहुमत नहीं हो तो आप सरकार नहीं बना सकते। यही संसदीय लोकतंत्र का संदेश और उसकी आत्मा है। 1952 से अब लोगों ने किसी दल को संख्यात्मक बहुमत तो दिया लेकिन कभी मतदाताओं के बहुमत ने किसी एक दल का समर्थन नहीं किया। सियासी दलों ने कभी इस संदेश को समझा ही नहीं।

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'एक देश, एक चुनाव ठीक नहीं'

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव से असहमति जताते हुए कहा कि संविधान में संशोधन के जरिए ऐसा किया जा सकता है, लेकिन क्या गारंटी है कि भविष्य में जनप्रतिनिधि सरकार पर अविश्वास नहीं जताएंगे?

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