हरीश साल्वे की दूसरी शादी: ये बनने वाली हैं पत्नी, पहली को दिया तलाक

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और मशहूर वकील हरीश साल्वे जल्द शादी करने जा रहे हैं। पिछले महीने ही साल्वे ने अपनी 38 साली की शादी को तलाक दे कर क़ानूनी तौर पर अलग हुए थे।

Update: 2020-10-25 16:02 GMT
हरीश साल्वे अर्नब का केस देख रहे हैं। उन्होंने कोर्ट से तत्काल राहत देने की मांग करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत दे देने से आसमान नहीं टूट पड़ेगा।

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और मशहूर वकील हरीश साल्वे जल्द शादी करने जा रहे हैं। 65 वर्षीय साल्वे अगले हफ्ते ब्रिटिश के एक चर्च में कैरोलिन ब्रॉसर्ड से शादी करने जा रहे है। पिछले महीने ही साल्वे ने अपनी 38 साली की शादी को तलाक दे कर क़ानूनी तौर पर अलग हुए थे।

हरीश साल्वे के पहली पत्नी

हरीश साल्वे के पहली पत्नी मीनाक्षी से दो बेटियां हैं। ख़बरों की माने तो वह अब अपनी दोस्त कैरोलिन ब्रॉसर्ड के साथ 28 अक्तूबर को शादी कर रहे हैं। बता दें, कि दोनों का ये दूसरा विवाह है। साल्वे भी धर्म बदलकर अब ईसाई बन चुके हैं। अपनी होने वाली पत्नी कैरोलिन के साथ वे पिछले दो सालों से नियमित रूप से उत्तरी लंदन के चर्च में जाते रहे हैं। हरीश साल्वे और कैरोलिन दोनों का ये दूसरा विवाह है।

इस महिला से कर रहे शादी

56 वर्षीय कैरोलिन पेशे से एक कलाकार हैं। साथ ही एक लड़की की मां। कैरोलिन और साल्वे की मुलाकात आर्ट एग्जीबिशन में हुई थी। धीरे धीरे दोनों में दोस्ती हुई और अब दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। तलाक के बाद साल्वे लंदन में अपने बच्चों से दूर रहते थे। जिस चलते कैरोलिन ने उन्हें भावनात्मक रूप से संभाला। दोनों में अच्छी जमने लगी जिसके बाद उन्होंने शादी का फैसला लिया।

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यहाँ से की पढ़ाई पूरी

चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे और साल्वे दोनों की पढ़ाई एक ही स्कूल में हुई है। दोनों महाराष्ट्र के नागपुर शहर में पढ़ाई करते थे। 1976 में साल्वे दिल्ली आए गए और बोबडे मुंबई हाई कोर्ट। बाद में बोबडे हाई कोर्ट जज बन गए और साल्वे सीनियर एडवोकेट और फिर सॉलिसिटर जनरल।

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कुलभूषण जाधव का लड़ा केस

हरीश साल्वे शुरू से ही काम की वजह से चर्चाओं में रहे है। यही वजह थी कि उन्हें भारत सरकार ने सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था। साल्वे, कुलभूषण जाधव सहित कई अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत सरकार की पैरवी कर देश को गौरवान्वित कर चुके हैं। विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के आग्रह पर उन्होंने इस केस की सुनवाई के लिए सिर्फ एक रुपए फीस ली थी।

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