Odisha Train Accident: ट्रेन हादसे में घायल कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट अस्पताल में हैं भर्ती, हालत गंभीर
Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर जिले में दुर्घटनाग्रस्त कोरोमंडल एक्सप्रेस को चलाने वाले 36 वर्षीय सहायक लोको पायलट हजारी बेहरा मौत के मुंह से बाल-बाल बच गए। कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट जी.एन. मोहंती की हालत गंभीर बताई जा रही है और वह उसी अस्पताल के आईसीयू में हैं।
Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर जिले में दुर्घटनाग्रस्त कोरोमंडल एक्सप्रेस को चलाने वाले 36 वर्षीय सहायक लोको पायलट हजारी बेहरा मौत के मुंह से बाल-बाल बच गए। भुवनेश्वर में निजी एएमआरआई अस्पताल में भर्ती, हजारी बेहरा उन एक हजार से अधिक घायल रोगियों में से एक हैं, जो ओडिशा भर में 21 अस्पतालों में भर्ती हैं। कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट जी.एन. मोहंती की हालत गंभीर बताई जा रही है और वह उसी अस्पताल के आईसीयू में हैं।
मौत की फर्जी खबर
द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, हजारी बेहरा का परिवार इस बात से दुखी और व्यथित है कि लोकल मीडिया उनकी कथित मौत के बारे में फर्जी खबरें चला रहा है। बेहरा की पत्नी ने कहा - मीडिया को इस बात का एहसास नहीं है कि इस तरह की झूठी खबरें घायलों के परिवार पर भारी पड़ सकती हैं। खासकर जब मेरे पति अभी भी कमजोर हैं और सीधे बैठने में असमर्थ हैं। उनके बाएं पैर में फ्रैक्चर है और कई खरोंच हैं; हालांकि वह होश में हैं लेकिन कमजोर और भ्रमित हैं। बेहरा के परिवार ने मीडिया से उनकी प्राइवेसी का सम्मान करने का अनुरोध किया। परिवारवालों ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि ट्रेन की टक्कर के लिए लोको पायलट और उनके सहायक को दोषी ठहराया जा रहा है।
कुछ नहीं कर सकता था ड्राइवर
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोको पायलट की ड्यूटी में ट्रेन को स्टार्ट करना, रोकना और स्पीड देना शामिल है। लेकिन हरे सिग्नल के बाद 128 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर, वह भी रात के अंधेरे में दौड़ रही ट्रेन के लोको पायलट को पता ही नहीं चला होगा कि उसकी ट्रेन एक मालगाड़ी से टकराने वाला है।
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कुछ तो गड़बड़ है
एक आदर्श स्थिति में सिग्नल को स्विचिंग के साथ-साथ हरा होना चाहिए जो यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेन सही ट्रैक पर चल रही है। इस ऑपरेशन को सेक्शन आफिस से दूर से कंट्रोल किया जाता है जिसमें सिगनलमैन, सेक्शन अधिकारी, सेक्शन प्रमुख और स्टेशन मास्टर शामिल होते हैं। लोको पायलट का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।
मरीजों का हाल
अस्पतालों में पहुंचे 1,116 जख्मी लोगों में से 172 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, 390 को रेफर कर दिया गया और अन्य 495 का वर्तमान में मुख्य रूप से बालासोर, गोपालपुर, सोरो, भद्रक और कटक में सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
दुर्घटनास्थल से निकाले गए 275 शवों में से लगभग 140 भुवनेश्वर में विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं की मोर्चरी में पड़े हैं। कम से कम 114 शव शहर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं। बताया गया है कि प्रत्येक शव का डीएनए नमूना लिया जा रहा है।