इस साल टूट जाएगी 86 साल की परंपरा, कोरोना संकट के कारण बड़ा फैसला

कोरोना संक्रमण का असर इस बार होने वाली गणेश पूजा पर भी दिखेगा। कोरोना के चलते 86 साल में ऐसा पहली बार होगा जब देश के सबसे मशहूर गणपति लालबाग के राजा इस साल नहीं विराजेंगे।

Update: 2020-07-01 16:01 GMT

अंशुमान तिवारी

मुंबई: कोरोना संक्रमण का असर इस बार होने वाली गणेश पूजा पर भी दिखेगा। कोरोना के चलते 86 साल में ऐसा पहली बार होगा जब देश के सबसे मशहूर गणपति लालबाग के राजा इस साल नहीं विराजेंगे। कमेटी के 12 सौ सदस्यों की तीन घंटे तक चली बैठक में इस साल गणेश उत्सव नहीं मनाने का फैसला किया गया। माना जा रहा है कि मुंबई के अन्य प्रमुख गणेश उत्सवों के आयोजक भी इसी तरह का फैसला ले सकते हैं।

इस साल टूट जाएगी 86 साल की परंपरा

कमेटी से जुड़े सदस्यों का कहना है कि 86 साल पुरानी इस परंपरा को तोड़ने का फैसला लेना आसान नहीं था। कमेटी के सदस्यों की महत्वपूर्ण बैठक में मुश्किल से यह फैसला लिया जा सका। बैठक में सदस्यों ने मुंबई में गहराए कोरोना संकट को देखते हुए इस साल गणेश उत्सव न मनाने का फैसला किया। बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्यों की राय थी कि देश ही देव है। मुंबई में जिस स्थान पर यह गणेश पूजा आयोजित की जाती है, उससे कुछ ही दूरी पर कंटेनमेंट इलाका है। इस कारण इस बार गणेश उत्सव से दूर रहने का फैसला किया गया।

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देश का सबसे मशहूर गणेश उत्सव

देश में मनाए जाने वाले गणेश उत्सवों में लालबाग के राजा को सबसे मशहूर माना जाता है और इस गणेशोत्सव के दौरान हर दिन यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बड़े राजनेताओं के साथ ही बॉलीवुड के तमाम स्टार और विविध क्षेत्रों से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति यहां गजानन सरकार को शीश नवाने आते हैं। मुंबई के लोगों की इस गणेश पूजा के साथ कितनी आस्था जुड़ी हुई है, इसे इसी से समझा जा सकता है की लालबाग के राजा का विसर्जन जुलूस सुबह शुरू होने के बाद करीब 19 घंटे में विसर्जन स्थल तक पहुंच पाता है। विसर्जन जुलूस में भी काफी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

12 सौ सदस्यों की बैठक में फैसला

गणेश मंडल के सचिव सुधीर सालवी ने बताया कि लालबाग के राजा के साथ काफी संख्या में भक्तों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इस कारण इस साल गणेश उत्सव न मनाने का फैसला काफी कठिन था मगर 12 सौ सदस्यों की जूम पर रात नौ बजे शुरू हुई बैठक रात बारह बजे तक चली और इसमें इस साल उत्सव स्थगित रखने का फैसला किया गया।

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देश को ही देव बताया

सालवी ने बताया कि हम देश को ही देव मानते हैं। लिहाजा जब मुंबई सहित पूरे देश में कोरोना का गहरा संकट है तो हमने श्रद्धालुओं, पुलिसकर्मियों और मुंबई नगरपालिका कर्मियों के स्वास्थ्य को महत्व देते हुए यह फैसला किया है। यदि हमने मूर्ति की स्थापना की तो लोगों की भीड़ को नहीं रोका जा सकता। ऐसे में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो जाएगा। यही कारण है कि हमने इस बार गणेश उत्सव की जगह स्वास्थ्य उत्सव मनाने का फैसला किया है।

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स्वास्थ्य उत्सव मनाने का फैसला

उन्होंने कहा कि हमारे गणेश मंडल के सदस्य इस बार केईएम अस्पताल के साथ मिलकर स्वास्थ्य उत्सव मनाएंगे। सालवी के मुताबिक इस दौरान प्लाज्मा डोनेशन कैंप भी लगाया जाएगा। इसके साथ ही गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिजनों का सम्मान करने का भी फैसला किया गया है। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए मंडल की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में 25 लाख का चेक भी दिया जाएगा।

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