बुखार की इस दवा को लेकर सरकार का बड़ा एलान, दुनिया में बढ़ी है मांग
विदेश व्यापार महानिदेशालय के मुताबिक पैरासिटामॉल एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स को एक्सपोर्ट किया जा सकता है। दवा के एक्टिव इनग्रीडिएंटेस पर रोक रहेगी
नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। विश्व के लगभग हर देश में इस वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। लेकिन अफ़सोस कि अमेरिका से लेकर चीन तक किसी के भी पास इस वायरस का कोई एंटीडोज या वैक्सीन नहीं है। ऐसे में भारत में डॉक्टर्स ने मलेरिया की दवा देकर के मरीजों को ठीक किया है। कुछ जानकारों का कहना है कि पैरासिटामॉल टेबलेट भी इसमें सहायक है। ऐसे में भारत सरकार ने पैरासिटामॉल फॉर्म्यूलेशन के एक्सपोर्ट प्रतिबन्ध को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।
सरकार ने हटाई पैरासिटामॉल के एक्सपोर्ट पर लगी रोक
केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, सरकार ने पैरासिटामॉल फॉर्म्यूलेशन के एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से एक्सपोर्ट फ्री कर दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय के मुताबिक पैरासिटामॉल एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) को एक्सपोर्ट किया जा सकता है। लेकिन दवा के एक्टिव इनग्रीडिएंटेस पर रोक जारी रहेगी। गौरतलब है कि पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से निपटने के लिए दवा तलाश कर रही है।
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लेकिन दुनिया का कोई भी देश अभी तक इस जानलेवा का वायरस की वैक्सीन तैयार नहीं कर पाया है। ऐसे में दुनियाभर में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल की डिमांड बढ़ गई है। जिसके चलते भारत सरकार ने ये फैसला लिया है। गौरतलब है कि अमेरिका सहित और देश भी भारत से इन दवाओं और इनके फार्मूलों की मांग कर चुके हैं।
पूरी दुनिया में बढ़ी पैरासिटामोल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग
ज्ञात हो कि पैरासिटामोल का उपयोग आमतौर पर दर्द निवारक और बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल सिरदर्द, मांसपेशियों के दर्द, गठिया, पीठ-दर्द, दांत-दर्द, जुकाम और बुखार जैसी कई स्थितियों के उपचार में होता है। जाहिर है कि इनमें से कई लक्षण कोरोना मरीजों में पाए जाते हैं इसलिए इन दवाओं की डिमांड बढ़ गई है। इसके अलावा भारत में मलेरिया के इलाज के किए प्रयोग की जाने वाली टैबलेट हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग भी काफी बढ़ गई है।
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भारत में इसका उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। इस दवा का प्रमुख रूप से प्रयोग मलेरिया जैसी भयंकर बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है। मलेरिया के साथ इन दवाओं का प्रयोग आर्थराइटिस में भी किया जाता है। अमेरिका जैसे देशों में यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों को दी जा रही है और सहायक भी साबित हो रही है।