सरकार ने ट्विटर के मुकाबले में ‘कू’ को आगे बढ़ाया, जानिए इसके बारे में

ट्विटर जैसी कंपनियों की दादागीरी के खिलाफ स्वदेशी कम्पनियाँ आगे आयीं है। इनमें सबसे चर्चा में है ‘कू’ नाम का सोशल नेटवर्किंग ऐप। केंद्र के ढेरों मंत्री और विभाग ‘कू’ ऐप पर शिफ्ट कर गए हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ‘कू’ की स्थापना दी उद्यमियों ने की थी जिनके नाम हैं अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिद्वाक्त।

Update:2021-02-12 15:01 IST
सरकार ने ट्विटर के मुकाबले में ‘कू’ को आगे बढ़ाया, जानें क्या है 'कू'

नीलमणि लाल

लखनऊ। इन दिनों केंद्र सरकार और ट्विटर में रस्साकशी चल रही है। सरकार आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाले ट्विटर अकाउंट बंद करवाना चाहती है लेकिन ट्विटर उसकी बात ही नहीं मान रहा है। जहाँ अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और इनके समर्थकों के खिलाफ ट्विटर ने कार्रवाई आनन फानन में कर दी थी वहीं भारत में वो अभिव्यक्ति की आज़ादी का दावा बुलंद कर रहा है। एक्सपर्ट्स इसके पीछे ट्विटर की वाम झुकाव वाली नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं। ट्विटर की इस दोमुंही नीति के खिलाफ सरकार का सख्त रुख है और संसद में भी केंद्रीय मंत्री इस बारे में बयान दे चुके हैं।

माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ‘कू’

बहरहाल, ट्विटर जैसी कंपनियों की दादागीरी के खिलाफ स्वदेशी कम्पनियाँ आगे आयीं है। इनमें सबसे चर्चा में है ‘कू’ नाम का सोशल नेटवर्किंग ऐप। केंद्र के ढेरों मंत्री और विभाग ‘कू’ ऐप पर शिफ्ट कर गए हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ‘कू’ की स्थापना दी उद्यमियों ने की थी जिनके नाम हैं अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिद्वाक्त। राधाकृष्ण इसके पहले ऑनलाइन कैब बुकिंग सर्विस ‘टैक्सी फॉर श्योर’ की स्थापना कर चुके हैं जिसे बाद में ओला कैब्स को बेच दिया गया था। ‘कू’ से पहले इसकी पेरेंट कंपनी बोम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने ‘कोरा’ का भारतीय वर्जन ‘वोकल’ के रूप में शुरू किया था और वह आज भी उसे ऑपरेट कर रही है।

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2020 की शुरुआत में लांच हुआ था ‘कू’ ऐप

जानकारी के अनुसार इस कंपनी ने 2018 में ब्लुम वेंचर्स, कलारी कैपिटल और एक्सेल पार्टनर्स इंडिया समेत कई निवेशकों से फंडिंग प्राप्त की थी। इस महीने फंडिंग के लेटेस्ट राउंड में इनफ़ोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पाई की कंपनी ने भी निवेश किया है। ‘कू’ ऐप 2020 की शुरुआत में लांच हुआ था। उसने बाद में भारत सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीता जिससे वह सुर्ख़ियों में आ गया। इस प्रतियोगिता में जोहो और चिंगारी जैसे ऐप भी विजयी रहे थे। आत्मनिर्भर ऐप चैलेंज के विजेताओं का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी man की बात में भी किया था।

नामचीन लोग इस ऐप से जुड़ चुके हैं

अब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद, सांसद तेजस्वी सूर्या, शोभा करंदलाजे, कर्नाटक के चीफ मिनिस्टर बीएस येदियुरप्पा, इशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ, अनिल कुंबले समेत तमाम नामचीन लोग इस ऐप से जुड़ चुके हैं। इनके अलावा केंद्रीय आईटी मंत्रालय, इंडिया पोस्ट और नीति आयोग और अन्य सरकारी विभाग भी इस प्लेटफार्म पर आ चुके हैं।

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मंत्रियों , नेताओं और सरकारी विभागों द्वारा भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग साईट पर आ जाना इस बात का संकेत है कि भारत सरकार ट्विटर के विकल्प को पुश करना चाहती है। केन्द्रीया आईटी मंत्रालय पहले ही ट्विटर को सख्त सन्देश दे चुका है कि ट्विटर को सरकार के निर्देश मानने ही होंगे और ऐसा न करने पर कार्रवाई की जायेगी।

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