इंसाफ के लिए पिता की जिद: बेटे के कंकाल को रखा है अपने पास, हुई थी दर्दनाक हत्या

एक पिता अपने बेटे की रहस्यमयी हत्या के विरोध में और इंसाफ पाने के लिए यह कदम उठाया है। बता दें कि यह मामला बनासकांठा जिले का है। आदिवासी समाज में इंसाफ न मिलने तक शव का अंतिम संस्कार न करने की परंपरा है जिसे ‘चढ़ोतरू’ कहा जाता है।

Update: 2020-06-15 07:05 GMT

गुजरात: देश दुनिया में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो समाज के अजीबो-गरीब परम्पराओं को सामने लाता है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें उत्तर गुजरात के जामरू गांव में एक पिता ने लगभग 20 महीने से अपने बेटे के कंकाल को संभालकर रखा हुआ है। एक पिता द्वारा लिए गए इस फैसले के पीछे एक बहुत बड़ा कारण छिपा हुआ है।

अंतिम संस्कार न करने की परंपरा को ‘चढ़ोतरू’ कहते हैं

दरअसल, एक पिता अपने बेटे की रहस्यमयी हत्या के विरोध में और इंसाफ पाने के लिए यह कदम उठाया है। बता दें कि यह मामला बनासकांठा जिले का है। आदिवासी समाज में इंसाफ न मिलने तक शव का अंतिम संस्कार न करने की परंपरा है जिसे ‘चढ़ोतरू’ कहा जाता है।

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यह घटना है सितंबर 2018 की जब नटूभाई का शव खेत में पड़ा हुआ मिला था। परिवार ने पड़ोसी रमणभाई सहित 10 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के लिए थाने में शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर लिया। लेकिन आजतक इन्साफ नहीं मिला।

डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट का परिणाम नहीं बताया गया

परिवार की मांग पर पुलिस ने शव को एफएसएल जांच के लिए भी भेजा मगर डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट का परिणाम नहीं बताया गया है। मृतक के 64 साल के पिता ने बताया कि नटू के चार बच्चों को बड़ा भाई संभाल रहा है। वहीं उसके कंकाल को झोपड़ी के सामने गैर-उपयोगी शौचालय में रखा गया है।

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