मोदी के पूर्व मंत्री की बगावत: किसानों के साथ खड़ी, दे डाली ये चेतावनी
संसद में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में किसानों का आंदोलन काफी तेज हो गया है। किसानों ने राज्य में तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन की शुरुआत कर दी है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: संसद में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में किसानों का आंदोलन काफी तेज हो गया है। किसानों ने राज्य में तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन की शुरुआत कर दी है। किसानों के रेल पटरियों पर बैठ जाने के कारण रेलवे की ओर से कई ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया है।
दूसरी ओर अकाली दल ने भी इन विधेयकों के खिलाफ अपना रुख और कड़ा कर लिया है। मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाली हरसिमरत कौर बादल ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि पहले तो हम हाथ जोड़ते थे मगर किसानों के मुद्दे पर अब हम दिल्ली की दीवारें हिलाकर रख देंगे।
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रेल पटरियों पर किसानों का कब्जा
कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में किसानों ने उग्र रूप धारण करते हुए रेल पटरियों पर डेरा जमा लिया है। बरनाला और संगरूर में गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता रेल पटरियों पर बैठ गए। अमृतसर के देवीदासपुर और फिरोजपुर के बस्ती टांका वाला में भी किसानों ने रेल पटरियों पर डेरा जमा लिया।
कई ट्रेनों का परिचालन रद्द
किसानों के रेल पटरियों पर बैठ जाने के कारण रेलवे की ओर से कई ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया है। रेल अधिकारियों का कहना है कि 14 जोड़ी विशेष ट्रेनें 24 सितंबर से 26 सितंबर तक निलंबित कर दी गई हैं।
रेल अफसरों के मुताबिक ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए कई मालगाड़ियों और पार्सल ट्रेनों का भी समय बदल दिया गया है। कोरोना संकट के कारण पहले ही तमाम यात्री ट्रेनें रद्द चल रही हैं। जो ट्रेनें चलाई भी जा रही हैं, अब उनका भी परिचालन रोक दिया गया है।
विभिन्न संगठनों के समर्थन का दावा
किसानों के आंदोलन को विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन मिल रहा है। किसान संगठनों का दावा है कि उन्हें कर्मचारियों और श्रमिकों के संगठनों का भी समर्थन हासिल है।
किसान संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कृषि विधेयकों का समर्थन करने वाले भाजपा नेताओं और अन्य लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने का संकल्प लिया है। किसान संगठनों की ओर से 25 सितंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया गया है।
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अकाली दल छेड़ेगा आर-पार की जंग
उधर अकाली दल किसानों के मुद्दे पर खुलकर सामने आ गया है। अकाली दल ने किसानों के साथ आर-पार की जंग छोड़ने की घोषणा की है। केंद्र सरकार से इस्तीफा देने के बाद अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने दिल्ली सरकार की चूलें हिला देने की चेतावनी दी है।
हरसिमरत कौर ने दमदमा साहिब में अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ मत्था टेकने के बाद कहा कि वह केंद्र सरकार के कदमों से सहमत नहीं हैं और अब उनकी पार्टी किसानों की जंग लड़ेगी।
केंद्र सरकार ने नहीं मानी बात
हरसिमरत कौर बादल पहले भी यह आरोप लगा चुकी हैं कि केंद्र सरकार ने विरोध करने के बावजूद कृषि विधेयक पर उनकी बात नहीं मानी। लोकसभा में अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने पहले ही बिल का विरोध करते हुए चेतावनी दी थी कि तीनों विधेयकों के खिलाफ अकाली दल मोदी सरकार से अलग हो जाएगी।
अकाली दल की राष्ट्रपति से अपील
अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने विध्यकों के खिलाफ राष्ट्रपति से भी मुलाकात की थी और उनसे इन विधेयकों को मंजूरी न देने की अपील की थी। हालांकि अभी तक अकाली दल की ओर से एनडीए से अलग होने का एलान नहीं किया गया है।
अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि अकाली दल की ओर से एनडीए से अलग होने की घोषणा कब की जाती है। एनडीए की स्थापना के समय से ही अकाली दल इसके साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए अकाली दल का यह कदम एनडीए के लिए बड़ा झटका होगा।
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