Bihar: गर्मी से एक ही कक्षा की 50 छात्राओं की बिगड़ी तबियत, अस्पताल में भर्ती

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Report :  Snigdha Singh
Update:2024-05-29 12:14 IST

File Photo: Social Media

Bihar News: गर्मी का कहर अपने चरम पर है। उत्तर प्रदेश हो या बिहार ऐसी चिलचिलाती गर्मी से बच्चों से लेकर बुजर्ग तक परेशान हैं। बुधवार को बिहार के शेखपुरा स्थित एक सरकारी स्कूल की करीब 50 छात्राओं की गर्मी के चलते अचानक तबियत बिगड़ गई। सभी छात्राओं को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्कूल प्रशासन का कहना है कि अधिक गर्मी के चलते छात्राओं की अचानक तबियत बिगड़ गई। 

दरअसल, अरियरी प्रखंड के मनकौल मध्य विद्यालय में अचानक छात्राएं बेहोश होकर गिर पड़ीं, जिससे पूरे विद्यालय परिसर में अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। पहले तो विद्यालय में बिठाकर बच्चों को पंखे से हवा किया गया और इलेक्ट्रॉल मिलाकर पानी आदि पिलाया गया। स्कूल प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से एंबुलेंस को सूचना दी। सूचना के बावजूद भी जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो सभी बच्चों को निजी वाहन से सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि अब छात्राओं के स्वास्थ्य में सुधार है। डॉक्टरों का मानना है कि अधिक गर्मी के चलते ही छात्राएं बेहोश हुईं हैं। छात्राओं की अन्य जांच भी जारी है। यदि सब ठीक रहा तो थोड़ी देर में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। 

भीषण गर्मी में चल रहे स्कूल 

बिहार में स्कूलों की छुट्टियां खत्म होकर नया सेशन शुरू हो गया। लेकिन बढ़ती गर्मी को देखते हुए प्रशासन को बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए छुट्टियां करनी चाहिए। बीते दिनों भी बिहार के सारण में 20 छात्राओं की तबियत बिगड़ गई थी। आमस प्रखंड क्षेत्र के प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय आमस में गर्मी के कारण दो छात्रा और एक शिक्षिका बेहोश हो गईं थीं।

गर्मी का कैसे होता है प्रभाव 

मानव शरीर में संग्रहीत ऊष्मा की मात्रा निम्नलिखित के संयोजन से निर्धारित होती है: पर्यावरणीय ताप तनाव (उदाहरण के लिए, उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता, कम हवा, उच्च ऊष्मीय विकिरण) के कारण चयापचय प्रक्रियाओं से आंतरिक रूप से उत्पन्न ऊष्मा को समाप्त करने में असमर्थता, ऊष्मा हानि में अवरोध उत्पन्न करने वाले कपड़े और पर्यावरण से बाह्य ऊष्मा प्राप्ति। ऐसी परिस्थितियों में शरीर के आंतरिक तापमान को नियंत्रित करने और गर्मी को खत्म करने में असमर्थता से गर्मी से थकावट और हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शरीर पर खुद को ठंडा करने के लिए जो दबाव पड़ता है, उससे दिल और गुर्दे पर भी दबाव पड़ता है। नतीजतन, अत्यधिक गर्मी पुरानी बीमारियों (हृदय, मानसिक, श्वसन और मधुमेह से संबंधित बीमारियों) से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकती है और तीव्र गुर्दे की चोट का कारण बन सकती है।

ऐसी परिस्थितियों में शरीर के आंतरिक तापमान को नियंत्रित करने और गर्मी को खत्म करने में असमर्थता से गर्मी से थकावट और हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शरीर पर खुद को ठंडा करने के लिए जो दबाव पड़ता है, उससे दिल और गुर्दे पर भी दबाव पड़ता है। नतीजतन, अत्यधिक गर्मी पुरानी बीमारियों (हृदय, मानसिक, श्वसन और मधुमेह से संबंधित बीमारियों) से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकती है और तीव्र गुर्दे की चोट का कारण बन सकती है।

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