SC Verdict on Article 370: मोदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

Abrogation of article 370: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाने के केंद्र के फैसले को जायज ठहराया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-12-11 08:38 IST

Abrogation of article 370. अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाने के केंद्र के फैसले को जायज ठहराया है। बता दें कि मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। कोर्ट ने 2 अगस्त से इन सभी याचिकाओं पर एकसाथ रेगुलर सुनवाई शुरू की थी। 5 सितंबर को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों की संविधान पीठ ने आज ये फैसला सुनाया है, उनमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। ज्ञात हो कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने का ऐलान किया था। यह मामला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के तीन कोर एजेंडों में शामिल था।

फैसले में कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर में पूर्व में लागू आर्टिकल 370 को अस्थायी प्रावधान करार दिया। अदालत ने कहा, हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। हम लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए। सीजेआई चंदचूड़ ने इस दौरान एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से लिए गए हर फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। ऐसा करन से अराजकता फैल जाएगी। यदि केंद्र के किसी फैसले से मुश्किलें खड़ी हो रही हो, तभी उसे चुनौती दी जा सकती है।

पीएम मोदी ने फैसले का किया स्वागत 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है और 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए फैसले को संवैधानिक रूप से बरकरार रखता है; यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने, अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।

महबूबा और उमर अब्दुल्ला ने लगाया नजरबंद करने का आरोप

आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर जम्मू कश्मीर सियासी गहमागहमी बढ़ गई है। घाटी की दो प्रमुख पार्टियों पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने अपने नेताओं को पुलिस द्वारा नजरबंद करने का आरोप लगाया है। पीडीपी ने एक्स पर पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को हाउस अरेस्ट किया जाने का दावा किया। इसी प्रकार नेशनल कांफ्रेंस ने एक्स पर कहा, आज सुबह-सुबह JKNC के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को उनके घर के अंदर बंद कर दिया गया. कितनी शर्म की बात है।

एलजी के खारिज करने पर अब्दुल्ला ने किया पलटवार

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को पुलिस द्वारा नजरबंद किए जाने के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने इस तरह की खबरों को पूरी तरह से निराधार बताया है। एलजी सिन्हा के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पलटवार किया है। उन्होंने एक्स पर अपने घर के दरवाजे पर बांधी गई जंजीर की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ये जंजीरें जो मेरे गेट पर लगाई गई हैं, मैंने नहीं लगाई हैं तो आप अपने पुलिस बल द्वारा किए गए काम से इनकार क्यों कर रहे हैं। यह भी संभव है कि आपको पता ही न हो कि आपकी पुलिस क्या कर रही है? क्या आप बेईमान हैं या आपकी पुलिस आपसे स्वतंत्र होकर काम कर रही है?

कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

आर्टिकल 370 का मुद्दा कश्मीर के लिए काफी संवेदनशील है। मुख्यधारा की लगभग तमाम प्रमुख सियासी पार्टियां केंद्र के फैसले के विरोध में है। इसके अलावा पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाता रहा है। वह घाटी में भी लोगों को उकसाने की पूरी कोशिश करता रहा है। ऐसे में पूरे जम्मू कश्मीर को अलर्ट पर रखा गया है। खासतौर पर कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी की गई है, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।

पुलिस की खुफिया शाखा अलगाववादी गतिविधियों में शामिल लोगों पर नजर रख रही है। पुलिस को आशंका है कि आतंकी संगठन और अलगाववादी सुप्रीम कोर्ट से प्रतिकूल फैसला आने पर घाटी का माहौल खराब कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि घाटी में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

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