दिल्ली हाईकोर्ट से सोनिया-राहुल गांधी को झटका, खाली करना होगा हेराल्ड हाउस

नेशनल हेराल्ड हाउस खाली करने के मामले सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) की अपील को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बृहस्पतिवार को अहम फैसला सुनाया है। डबल ने एजेएल की याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी, ऐसे में नेशनल हेराल्ड हाउस को खाली करना ही होगा।

Update: 2019-02-28 06:20 GMT

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड हाउस खाली करने के मामले सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) की अपील को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बृहस्पतिवार को अहम फैसला सुनाया है। डबल ने एजेएल की याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी, ऐसे में नेशनल हेराल्ड हाउस को खाली करना ही होगा। हेराल्ड हाउस कब खाली करना होगा? कोर्ट ने यह समय सीमा तय नहीं की है।

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बताते चले कि 21 दिसंबर को हेराल्ड हाउस केस मामले में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को बड़ा झटका लगा था। दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड अखबार के 56 साल पुराने दफ्तर हेराल्ड हाउस को दो सप्ताह के भीतर खाली करने का निर्देश दिया था। यह इमारत राजधानी दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग के प्रेस एरिया में स्थित है।

जस्टिस सुनील गौड़ ने कांग्रेस के समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को दो सप्ताह के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने को कहा था। साथ ही कहा गया था कि तय समय के अंदर अगर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड बिल्डिंग खाली नहीं करती है तो उस पर कार्रवाई होगी। अब कांग्रेस की चुनौती को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा है।

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क्या है नेशनल हेराल्ड

नेशनल हेराल्ड भी उन अखबारों की श्रेणी में है, जिसकी बुनियाद आजादी के पूर्व पड़ी। हेराल्ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी अखबार था। 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्डर अखबार की नींव रखी थी। इंदिरा गांधी के समय जब कांग्रेस में विभाजन हुआ तो इसका स्वारमित्व इंदिरा कांग्रेस आई को मिला। नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता है। आर्थिक हालात के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। उस वक्ता वह कांग्रेस की नीतियों के प्रचार प्रसार का मुख्य स्रोत था

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