चाय बनाने से मना करने पर हथौड़े से की पत्नी की हत्या, जज ने कहा- 'बीवी गुलाम नहीं'
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती की छह वर्षीय बेटी का बयान भरोसा करने लायक है। कोर्ट ने ये भी कहा कि महिलाओं की सामाजिक स्थितियों के कारण वे स्वयं को अपने पतियों को सौंप देती हैं।
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम केस की सुनवाई करते हुए कहा कि बीवी गुलाम या कोई वस्तु नहीं है। अगर वह पति के लिए चाय बनाने से मना करे तो उसे पीटने के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने अपना फैसला पढ़ते हुए पत्नी की हत्या के मामले में 35 वर्षीय एक व्यक्ति को दोषी मानने के निचली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
क्या है ये पूरा मामला
दरअसल दिसंबर 2013 में संतोष अख्तर (35) की पत्नी चाय बनाए बिना बाहर जाने की बात कर रही थी, जिसके बाद अख्तर ने हथौड़े से उसके सिर पर वार किया और वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
दंपती की बेटी के बयानके मुताबिक, अख्तर ने इसके बाद घटनास्थल से खून को साफ किया, पत्नी को नहलाया और उसे फिर से अस्पताल में भर्ती कराया।
महिला की करीब एक सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहने के बाद डेथ हो गई। ये मामला कोर्ट में जा पहुंचा। जिसके बाद से कोर्ट ने 2016 में निचली कोर्ट द्वारा संतोष अख्तर (35) को दी गई 10 साल की सजा बरकरार रखा है। अख्तर को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया गया है।
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कोर्ट ने अपने निर्णय में क्या कहा?
जस्टिस रेवती मोहिते देरे ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा कि विवाह समानता पर आधारित साझेदारी है, लेकिन समाज में पितृसत्ता की अवधारणा अब भी कायम है और अब भी यह समझा जाता है कि महिला पुरुष की संपत्ति है, जिसकी वजह से पुरुष यह सोचने लगता है कि महिला उसकी ‘‘गुलाम’’ है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती की छह वर्षीय बेटी का बयान भरोसा करने लायक है। कोर्ट ने ये भी कहा कि महिलाओं की सामाजिक स्थितियों के कारण वे स्वयं को अपने पतियों को सौंप देती हैं।
इसलिए इस प्रकार के मामलों में पुरुष स्वयं को श्रेष्ठतर और अपनी पत्नियों को गुलाम समझने लगते हैं। ये ठीक नहीं है।
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बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में दी थी ये दलील
बॉम्बे हाईकोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि अख्तर की पत्नी ने उसके लिए चाय बनाने से मना कर दिया था, जिसके कारण उकसावे में आकर उसने यह अपराध किया।
लेकिन कोर्ट बचाव पक्ष के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह से यह बात स्वीकार नहीं की जा सकती कि महिला ने चाय बनाने से इनकार करके अपने पति को उकसाया, जिसके कारण उसने अपनी पत्नी पर जानलेवा अटैक किया।
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