कुलभूषण जाधव मामले की ICJ में सुनवाई शुरू, भारत का पक्ष रख रहे है साल्वे

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव केस में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ में सोमवार से सार्वजनिक सुनवाई शुरू होगी।18 फरवरी से शुरू होने वाली सुनवाई 21 फरवरी तक चलेगी। जिसमें भारत और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे।

Update: 2019-02-18 03:52 GMT
कुलभूषण जाधव: ICJ में 18 साल बाद भारत-पाक फिर आमने-सामने, दुनिया की निगाहें टिकीं

नई दिल्ली: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव केस में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ में सोमवार से सार्वजनिक सुनवाई शुरू हो गई है।18 फरवरी से शुरू हुई सुनवाई 21 फरवरी तक चलेगी। जिसमें भारत और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे।

सोमवार को पहले दौर की जिरह स्थानीय समय ढाई बजे से शुरू होकर शाम साढ़े पांच बजे तक चलेगी जिसमें भारत अपना पक्ष रखेगा। दूसरा दौर 19 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर ढाई बजे से साढ़े पांच बजे तक चलेगा जिसमें पाकिस्तान अपनी बात रखेगा।

यह भी पढ़ें.....पुलवामा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़, मेजर समेत 4 जवान शहीद

बता दें कि पाकिस्तानी सेना की अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर भारतीय नागरिक जाधव (48) को मौत की सजा सुनाई थी। ICJ ने अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी का रोक लगा दी थी। बता दें कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए आईसीजे की स्थापना की गई थी।

यह भी पढ़ें.....श्रद्धांजलि कार्यक्रम में नेता ने की ऐसी हरकत सेल्फी प्वांइट बना श्रद्धांजलि सभा

भारत की तरफ से हरीश साल्वे हेग कोर्ट में भारत का पक्ष रखेंगे तो पाकिस्तान की ओर से ख्वार कुरैशी को पेश होना है। पाकिस्तान ने इस मामले के लिए अपना एक विशेष दल भेजा है जिसकी अगुआई वहां के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें.....30 लाख की किडनी, 80 लाख का लीवर बेचने वाले गिरोह के 6 सदस्य गिरफ्तार

इंटरनेशनल कोर्ट से भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस न देकर विएना कॉन्वेंशन का उल्लंघन किया है। जबकि पाकिस्तान शुरू से कहता आया है कि जाधव को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, लिहाजा कॉन्सुलर एक्सेस का अधिकार नहीं दिया जा सकता। पाकिस्तान का दूसरा तर्क यह भी है कि उसका भारत के साथ एक करार है जिसमें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को कॉन्सुलर एक्सेस देने का प्रावधान नहीं है।

Tags:    

Similar News