इस साल पड़ेगी कंपाने वाली ठंड, टूट सकता है कई सालों का रिकॉर्ड, ये है बड़ी वजह

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस साल ला नीना की स्थिति के कारण कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है।

Update: 2020-10-14 15:04 GMT
इस साल ला नीना की स्थिति के कारण कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। इसके साथ ही ठंड कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। ला नीना की स्थिति कमजोर है।

नई दिल्ली: देश से मानसून की विदाई का समय है, लेकिन कई राज्यों में अभी भारी बारिश हो रही है। इसका कारण है बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम। इसकी वजह से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारी बारिश हुई है। इसके कारण दोनों राज्यों में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। मौसम विभाग ने कई राज्यों में बारिश का अलर्ट किया है।

अब इस बीच मौसम विभाग ने कहा कि इस साल देश में कड़ाके ठंड पड़ने की संभावना है। इसकी वजह ला नीना है। बधुवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने यह दी। उन्होंने बताया कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में बढ़ोत्तरी होती है, लेकिन विपरीत इसके कारण मौसम अनियमित हो जाता है।

ला नीना की स्थिति कमजोर

महापात्र की तरफ से कहा गया चूंकि ला नीना की स्थिति कमजोर है, इसलिए इस वर्ष ज्यादा ठंड की संभावना जता रहे हैं। अगर शीत लहर की स्थिति के लिए बड़े कारक पर विचार करें तो अल नीनो और ला नीना बड़ी भूमिका होती है।

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आईएमडी के महानिदेश मृत्युंजय महापात्र राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की तरफ से शीत लहर के खतरे में कमी पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि शीत लहर की स्थिति के लिए ला नीना अनुकूल होता है जबकि अल नीनो की स्थिति इसके लिए मददगार नहीं होती।

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इन राज्यों में होती हैं सबसे अधिक मौतें

महापात्र ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं जहां शीतलहर की वजह से काफी संख्या में मौतें होती हैं। बता दें कि आईएमडी की तरफ से हर साल नवंबर में शीत लहर का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। इसमें मौसम विभाग की तरफ से दिसंबर से फरवरी के दौरान शीत लहर की स्थिति की जानकारी दी जाती है।

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ला नीना प्रशांत महासागर में सतह के जल के ठंडा होने से जुड़ा हुआ है, तो अल नीनो इसकी गर्मी से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इन दोनों कारकों का भारतीय मानसून पर भी असर होता है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो 2020 में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। इस साल नौ प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। बीते वर्ष सर्दी के मौसम के दौरान शीत लहर अधिक समय तक पड़ा था।

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