खतरे में पाकिस्तान! जनता का होगा बुरा हाल, अब क्या करेेेंगे इमरान?

पाकिस्तान सरकार भारत की शांति को भंग करने के लगातार प्रयास कर रही है लेकिन खुद पाकिस्तान की सरकार आर्थिक मोर्चे पर नए संकटों को झेल रही है। पाकिस्तान के समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रेिब्यून के हिसाब से पाक का इस फाइनेंनसियल ईयर में बजट घाटा बीते आठ सालों में से सबसे अधिक है।

Update: 2019-08-28 07:32 GMT
खतरे में पाकिस्तान! जनता का होगा बुरा हाल, अब क्या करेेेंगे इमरान?

नई दिल्ली : पाकिस्तान सरकार भारत की शांति को भंग करने के लगातार प्रयास कर रही है लेकिन खुद पाकिस्तान की सरकार आर्थिक मोर्चे पर नए संकटों को झेल रही है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रेिब्यून के हिसाब से पाक का इस फाइनेंनसियल ईयर में बजट घाटा बीते आठ सालों में से सबसे अधिक है। पाक को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से स्वीकृत हुए 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज पर भी खतरा मंडरा सकता है।

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शर्त पर खरी नहीं उतर रही इमरान सरकार

जानकारी के लिए बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कुछ दिन बाद ही बेलआउट पैकेज के लिए पहली बार समीक्षा करने जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत सी सख्त शर्तें रखी थीं, लेकिन इमरान सरकार किसी भी शर्त पर खरी उतरती नजर नहीं आ रही है।

इसके साथ ही पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान का बजट घाटा देश के कुल घरेलू उत्पाद का 8.9% (3.45 ट्रिलियन रुपए) तक पहुंच गया है। जबकि बीते साल यह 6.6% था। यह इमरान खान सरकार की नाकामी का बड़ा सबूत है।

अपनी अहमियत खो चुकी पाक सरकार

आपको बता दें कि पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकार का बजट घाटा निर्धारित लक्ष्य से 82% अधिक हो गया है। भारी-भरकम बजट घाटे की वजह से 2019-20 का बजट दो महीने के भीतर ही अपनी अहमियत खो चुका है।

पाकिस्तान सरकार का खर्च एक तरफ लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ उसकी आय (राजस्व) में भारी गिरावट आ रही है। जुलाई महीने में शुरू हुए नए फाइनेंनसियल ईयर में सरकारी राजस्व 40% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। अगर पाकिस्तान राजस्व का लक्ष्य पूरा ना कर पाया तो इससे आईएमएफ का 6 अरब डॉलर का पैकेज खतरे में पड़ सकता है।

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इसी सिलसिले में कराची में आरिफ हबीब लिमिटेड में डायरेक्टर रिसर्च समीउल्लाह तारिक कहते हैं, यह एक असंभव लक्ष्य है। अगर वे इस तिमाही में आईएमएफ के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं तो टैक्स बढ़ाने के लिए एक नया मिनी बजट लाया जा सकता है। ताकि आईएमएफ के रीव्यू में पास हुआ जा सके। तारिक के अनुसार, पिछली तिमाही में गैर-कर राजस्व में 98% की गिरावट की वजह से कुल राजस्व में 20% की कमी आई है।

पाक पीएम इमरान खान के बेकार के खर्चों को रोकने की कोशिशों के बाद भी सरकार अपने खर्च को कम करने और राजस्व बढ़ाने में नाकाम रही है। यहां तक कि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें भी बढ़ा दी थीं।

पाक के लोग भर रहे टैक्स

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इमरान खान ने यह भी कहा था कि लोग टैक्स भर रहे हैं। इसका साफ-साफ अर्थ यही है कि उन्हें अपनी सरकार में भरोसा है। लेकिन अब इन आंकड़ों को देखकर यही लगता है कि जनता को इमरान सरकार में बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है।

 

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