रक्षा मंत्रालय ने नेताओं से कहा-लेह की यात्रा करना उचित नहीं, वजह जान दंग रह जाएंगे
लद्दाख से सटे सीमा पर भारत और चीन के बीच पिछले 6 महीने से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। शांति बहाली और सैनिकों को विवादित क्षेत्रों से हटाने को लेकर कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दोनों तरफ से कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन इस मसले का कोई हल नहीं निकला। नतीजतन दोनों देशों की सेनाएं आमने -सामने हथियार लेकर डटी हुई है। सीमा पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।
इस बीच रक्षा मंत्रालय ने पब्लिक अकाउंट कमिटी (पीएसी) से कहा है की अभी लेह की यात्रा करना उचित नहीं है। पीएसी पैनल की प्रस्तावित यात्रा से सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त दबाव बनेगा।
ये जानकारी सीडीएस जनरल बिपिन रावत सहित सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश होने के बाद दी।
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सैनिकों को मिलने वाली सुविधाओं का विश्लेषण करने के लिए जाने वाली थी पीएसी
बता दें कि पब्लिक अकाउंट कमिटी (पीएसी) में 20 सदस्य हैं और उनमें से अधिकांश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हैं। उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों को प्रदान की जाने वाली कामकाजी परिस्थितियों और सुविधाओं का विश्लेषण करने के लिए अगले महीने लेह में पीएसी की यात्रा प्रस्तावित है।
पब्लिक अकाउंट कमिटी (पीएसी) के सदस्य भारत-चीन सीमा सड़क पर कैग की एक रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं, साथ ही कमिटी उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर सैनिकों के लिए कपड़े, उपकरण, राशन और आवास की व्यवस्था तथा खरीद की रिपोर्ट देख रही है।
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कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कही ऐसी बात
वहीं इस बारें में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि संसदीय पैनल के सदस्य बुनियादी ढांचे की वास्तविकताओं और उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों को प्रदान किए गए कपड़ों की पड़ताल करने के लिए लेह जाना चाहते थे।
लेकिन सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने पीएसी को सूचित किया है कि अभी लद्दाख की यात्रा करने का ये समय ठीक नहीं है क्योंकि सेना सीमा पर तनाव को कम करने में व्यस्त हैं।
पीएसी में शामिल कुछ सदस्यों ने भी कठिन मौसम की स्थिति को देखते हुए लेह में बर्फीले क्षेत्रों का दौरा करने को सही नहीं ठहराया है क्योंकि इससे वहां तैनात मौजूद बलों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा।
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