61 साल पुराना LAC समझौता: भारत ने किया मानने से इनकार, चीन को बड़ा झटका

चीन की ओर से एलएसी को तय करने में 1959 के समझौते का हवाला दिया गया है मगर भारत में उसे मानने से साफ इनकार कर दिया है।

Update: 2020-09-29 15:51 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। लद्दाख में चीन की रोज नई शरारतों के कारण भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर पैदा हुआ तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन ने एलएसी के मामले में फिर एक नया विवाद पैदा करने की कोशिश की है, लेकिन भारत की ओर से चीन को सख्त अंदाज में जवाब दिया गया है। भारत ने चीन पर पलटवार करते हुए कहा है कि एलएसी को तय करने में 61 साल पुराने एकतरफा समझौते को मान्यता नहीं दी जा सकती।

भारत को एकतरफा समझौता कभी स्वीकार नहीं

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच पैदा हुए सैन्य विवाद के बाद चीन की ओर से रोज नया शगूफा छोड़ा जाता है। अब चीन की ओर से एलएसी को तय करने में 1959 के समझौते का हवाला दिया गया है मगर भारत में उसे मानने से साफ इनकार कर दिया है।

भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हमने भारत चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी के बारे में चीन के विदेश मंत्रालय के बयान को देखा है मगर चीन को यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारत ने 1959 के एकतरफा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया है।

चीन ने किया आपसी सहमति का उल्लंघन

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है की 1993, 1996 और 2005 में चीन के साथ हुई दो पक्षीय बातचीत में एलएसी को लेकर गतिरोध के बिंदुओं को बातचीत के जरिए सुलझाने पर सहमति बनी थी।

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यह भी तय किया गया था कि दोनों पक्ष किसी भी तरह की एकतरफा कार्रवाई से बचेंगे। ऐसी स्थिति में चीन की ओर से एलएसी को लेकर जारी किया गया बयान पूरी तरह आपत्तिजनक है और चीन के विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच बनी आपसी सहमति का भी उल्लंघन किया है।

चीन के अड़ियल रुख से नहीं सुलझ रहा मामला

भारत ने एलएसी को लेकर गतिरोध के बिंदुओं के न सुलझने के लिए भी चीन को ही दोषी ठहराया है। भारत का कहना है कि दोनों देश 2003 तक एलएसी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश में लगे हुए थे मगर इसके बाद यह प्रक्रिया कभी आगे नहीं बढ़ सकी।

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इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि चीन ने कभी इस गतिरोध को सुलझाने की कोशिश नहीं की। भारत की ओर से उम्मीद जताई गई है कि चीन पूरी ईमानदारी और विश्वास के साथ सभी समझौतों का पालन करेगा और एलएसी की एकतरफा व्याख्या करने से बाज आएगा।

चीन के प्रवक्ता ने दिया था 1959 का हवाला

भारत की ओर से यह प्रतिक्रिया चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन के बयान के बाद आई है। चीन के प्रवक्ता ने भारत पर निशाना साधते हुए अवैध तरीके से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की स्थापना करने का आरोप लगाया था।

उनका यह भी कहना था कि भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर चीन की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। उन्होंने 7 नवंबर 1959 को परिभाषित सीमा को एलएसी मानने की बात कही थी। इसी के बाद भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए चीन को आईना दिखाया गया है।

हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन

जानकारों का कहना है कि चीन इस समय विभिन्न मोर्चों पर तमाम दिक्कतों से जूझ रहा है और लोगों को ध्यान भटकाने के लिए ही उसने भारत के साथ सैन्य विवाद को बढ़ावा देने की साजिश रची है।

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हालांकि कोरोना संकट और इस सैन्य विवाद को लेकर चीन दुनिया के कई प्रमुख देशों के निशाने पर आ चुका है मगर इसके बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कई देशों के साथ चीन की तनातनी

चीन की इस समय भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान और ताइवान आदि कई देशों से तनातनी चल रही है मगर इसके बावजूद उसकी ओर से हर रोज नई हरकतें की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक भारत के कड़े रुख के कारण चीन एलएसी पर भारतीय जवानों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

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