पाक पर बड़ा हमलाः आतंकवाद का समर्थन करना पड़ेगा भारी, भारत ने दिया जवाब

विदेश मंत्री एशिया सोसाइटी की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद की वकालत करने वाले देश के साथ कैसे रिश्तों को सहज बनाया जा सकता है।

Update:2020-10-16 22:38 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर साफ तौर पर कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है और ऐसी स्थिति में उसके साथ रिश्तों को सामान्य बनाना काफी मुश्किल काम है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि पाकिस्तान सरकार सार्वजनिक तौर पर आतंकवाद को जायज ठहराती रही है। ऐसी स्थिति में भारत पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को सामान्य कैसे बना सकता है।

आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा पड़ोसी देश

विदेश मंत्री एशिया सोसाइटी की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन समारोह को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद की वकालत करने वाले देश के साथ कैसे रिश्तों को सहज बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के साथ पाकिस्तान के भारत के साथ कारोबारी रिश्ते भी सहज नहीं है। उसने भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा भी नहीं दिया है।

समस्याएं सुलझाए बिना रिश्ते सहज कैसे होंगे

वीजा को लेकर भी दोनों देशों के सामान्य संबंध नहीं है और पाकिस्तान इस मामले में तमाम प्रतिबंध लगाता रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान के बीच की कनेक्टिविटी को भी बाधित करने में जुटा हुआ है।

विदेश मंत्री ने कहा कि सामान्य तौर पर पड़ोसी देशों के बीच अच्छे रिश्ते होते हैं और उनके वीजा और कारोबारी संबंध भी अच्छे होते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि वे आतंकी घटनाओं को बढ़ावा नहीं देते मगर पाकिस्तान के मामले में सब कुछ उल्टा पुल्टा है।

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जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तब तक पाकिस्तान जैसे विचित्र पड़ोसी के साथ संबंधों को सहज कैसे बनाया जा सकता है। पाकिस्तान के साथ रिश्ते को बनाए रखना विदेश नीति की बहुत बड़ी समस्या है।

आंतरिक मामले में दखल का हक नहीं

कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे देश की बागरी सीमाएं नहीं बदली है। हमने जो कुछ भी बदलाव किया है वह अपने देश के भीतर किया है। यह हमारे देश का आंतरिक मामला है और किसी दूसरे को इस मामले में दखल देने का तनिक भी अधिकार नहीं है। इसलिए दूसरे देश को इस मामले में कुछ भी नहीं बोलना चाहिए।

कश्मीर में बदलाव से पड़ोसियों पर असर नहीं

विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश को अपने प्रशासनिक न्याय क्षेत्र को बदलने का अधिकार है। यदि चीन को देखा जाए तो चीन ने भी अपने प्रांतों की सीमाएं बदली हैं और चीन के अलावा कई अन्य देशों में भी ऐसे कदम उठाए हैं। जम्मू कश्मीर में किए गए बदलाव से पड़ोसियों पर कोई असर नहीं पड़ा है। पड़ोसी देश तो तभी प्रभावित होते हैं जब देश की बाहरी सीमाएं बदलती हैं। इस मामले में भारत की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

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भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण

पिछले कुछ वर्षों से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की ओर से 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले की घटना के बाद दोनों देशों के रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए थे। इसके बाद उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हमले सहित अन्य हमलों ने दोनों देशों के रिश्तों को और बिगाड़ दिया है।

पुलवामा में पिछले साल सीआरपीएफ के काफिले पर किए गए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई की गई थी। भारतीय वायुसेना की ओर से की गई कार्रवाई में पाकिस्तान के भीतर मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर तबाह कर दिए गए थे।

पाक को नहीं मिल रहा अंतरराष्ट्रीय समर्थन

पिछले साल जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलने में जुटा हुआ है।

पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाकर समर्थन जुटाने की कोशिश करता रहा है। हालांकि अभी तक उसे इस मामले में नाकामी ही मिली है। भारत की ओर से भी पाकिस्तान की इन कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब दिया गया है।

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