ऑपरेशन ऑल आउट: 5 सालों में भारतीय सेना ने कर दिखाया ये बड़ा कमाल

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय जवाब दिया कि सेना द्वारा पिछले पांच साल 2014 से 2019 के बीच 963 आतंकवादी मारे गए हैं। केंद्र सरकार ने आतंक पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। जबकि इस दौरान करीब 413 सुरक्षाबलों ने भी अपनी जान गंवाई है।

Update:2019-07-16 15:41 IST

नई दिल्ली: घाटी में बड़ते आतंकवाद को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में सेना का 'ऑपरेशन ऑल आउट' चलाया गया जो कि काफी सफल बताया जा रहा है। पिछले पांच साल में सेना ने 963 आतंकवादियों को मार गिराया है। लेकिन फिर भी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। मोदी सरकार इसको देखते हुए सेना के जवानों से साफ कह दिया है कि घाटी से आतंकवादियों का पूरी तरह सफाया होना चाहिए।

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय जवाब दिया कि सेना द्वारा पिछले पांच साल 2014 से 2019 के बीच 963 आतंकवादी मारे गए हैं। केंद्र सरकार ने आतंक पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। जबकि इस दौरान करीब 413 सुरक्षाबलों ने भी अपनी जान गंवाई है।

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पिछले तीन सालों में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ में तेजी से बढ़ोतरी हुई

भले ही सेना चुन-चुनकर आतंकवादियों का सफाया कर रही हो लेकिन पिछले तीन सालों में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 119 बार घुसपैठ हुई। इसमें 35 घुसपैठिए मारे गए और एक्शन में 15 जवान शहीद हुए। 2017 में 136 बार हुई घुसपैठ हुई। इस मुठभेड़ में 59 घुसपैठिए मारे गए और एक्शन में 7 जवान शहीद हुए। वहीं 2018 में 143 बार हुई घुसपैठ हुई। इस साल मुठभेड़ में 32 घुसपैठिए मारे गए और एक्शन में 5 जवान शहीद हुए।

आतंकवादी संगठनो के कमांडरों को मारने का फायदा आतंक की कमर तोड़ने में मिला

साल 2016, 2017, 2018 और 2019 में सेना ने कई बड़े कमांडरों को निशाना बनाया। इस लिस्ट में सब्जार अहमद भट्ट, बुरहान वानी, जुनैद मट्टू, बशीर लश्करी, अबू लल्हारी, जाकिर मूसा, जीनल उल इस्लाम, सद्दाम पाडर, नाविद जट्ट, समीर टाइगर, मन्नान वानी का नाम शामिल था। इन कमांडरों को मारने का फायदा आतंक की कमर तोड़ने में मिला।

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इनामी कमांडरों को सेना ने सबसे ज्यादा मारा

जम्मू-कश्मीर में मारे गए ज्यादा कमांडरों पर इनाम घोषित था। ऐसे में सेना ने मौका मिलते ही कमांडरों को ठिकाने लगा दिया, ताकि आतंकियों का संगठन कमजोर पड़ सके।

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