कोरोना पॉजिटिव हैं या नहीं, बता देगा भारतीय सेना का डॉगी

भारतीय सेना के प्रशिक्षित कुत्ते अब कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में दक्ष हो चुके हैं। भारतीय सेना अपने प्रशिक्षित डॉगस के कौशल का प्रदर्शन करने की तैयारी में है। पूरे देश में जोर-शोर से अभियान चलाकर लोगों की कोविड जांच कराई गई।

Update:2021-02-08 15:58 IST
कोरोना जांच किट के महंगे दाम की वजह से सरकार और आम लोगों को भी खूब पैसा खर्च करना पड़ा। पिछले साल कोरोना जांच के लिए पांच से छह हजार रुपये तक वसूले गए हैं।

अखिलेश तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान करने के लिए चिकित्सा विज्ञानियों ने अनेक विधियां ढूंढ़ी हैं जिनमें कई तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जांच विधि के अलग-अलग होने से परिणाम भी अलग आते हैं और इन पर होने वाला खर्च भी अच्छा -खासा है लेकिन यह काम अब बेहद आसानी से हो सकेगा। भारतीय सेना के प्रशिक्षित कुत्ते अब कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में दक्ष हो चुके हैं। भारतीय सेना अपने प्रशिक्षित डॉगस के कौशल का प्रदर्शन करने की तैयारी में है।

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पूरे देश में जोर-शोर से अभियान

कोरोना संक्रमितों की पहचान करने की जटिल प्रक्रिया के कारण इस महामारी पर रोक लगाना मुश्किल हो गया था। विशेषज्ञों ने महामारी पर पूर्ण नियंत्रण के लिए अधिकतम जांच कराए जाने पर जोर दिया। इसके बाद पूरे देश में जोर-शोर से अभियान चलाकर लोगों की कोविड जांच कराई गई।

कोरोना जांच किट के महंगे दाम की वजह से सरकार और आम लोगों को भी खूब पैसा खर्च करना पड़ा। पिछले साल कोरोना जांच के लिए पांच से छह हजार रुपये तक वसूले गए हैं। अब भी लोगों को इस जांच के लिए अच्छी -खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है। लेकिन अब कोरोना जांच पर लोगों को बहुत पैसे खर्च करने नहीं पड़ेंगे।

आज भी कोरोना जांच के परिणाम प्राप्त होने में कम से कम 24 घंटे का वक्त लग रहा है। लेकिन अब यह काम भारतीय सेना के प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से किया जा सकेगा। भारतीय सेना ने दावा किया है कि उसके पास मौजूद प्रशिक्षित कुत्तों में दो ऐसी नस्लें छिप्पीपराई और कॉकर स्पेनेयिल हैं।

जो कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान उसके पसीने और पेशाब की गंध से कर सकने में सक्षम हैं। भारतीय सेना का दावा है कि इन दोनों नस्ल के कुत्तों को कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

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कहां होगा प्रयोग

भारतीय सेना का यह दावा अगर परीक्षण पर सटीक उतरता है तो इन दोनों नस्ल के कुत्तों को एयरपोर्ट या सार्वजनिक कार्यक्रम व भीड़-भाड़ वाले इलाके में कोरोना संक्रमित की पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे कोरोना संक्रमित लोगों को आसानी से अन्य लोगों की भीड़ से अलग-थलग किया जा सकेगा।

ऐसे लोगों का अलग से इलाज किया जा सकेगा और बीमारी को फैलने से रोका जा सकेगा। भारतीय सेना मंगलवार नौ फरवरी को अपने प्रशिक्षित कुत्तों का कोरोना परीक्षण दक्षता प्रदर्शन करने की तैयारी में है।

जानें इन कुत्तों की नस्ल के बारे में

चिप्पराई -

फोटो- सोशल मीडिया

कुत्तों की यह नस्ल मूल तौर पर भारत की है और इस नस्ल के कुत्तों को किसी भी कैनल क्लब में शामिल नहीं किया गया है। 63 सेमी यानी लगभग 25 इंच औसत ऊंचाई वाले इन कुत्तों को छोटे कद का माना जाता है और आम तौर पर इनका रंग सफेद पाया जाता है। यह भारत के कुत्तों की देशी नस्ल है। इसके पैर लंबे होते हैं।

इसे देशी कुत्तों की नस्ल में सबसे समझदार माना जाता है। यह नस्ल आम तौर पर तमिलनाडु में पाई जाती है। तमिलनाडु के विरुदनगर जिले के वेंबकोट्टाई विकासखंड को इस नस्ल का जन्मदाता क्षेत्र माना जाता है। अपने खास गुणों की वजह से इस नस्ल के कुत्तों को पुलिस में लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है।

कॉकर स्पैनियल -

फोटो- सोशल मीडिया

इस कॉकर स्पैनियल डॉग की दो प्रजातियां इंगिलिश कॉकर स्पैनियल और अमेरिकी कॉकर स्पैनियल है। दोनों ही प्रजातियां अपने -अपने देश की की मूल प्रजाति का परिचय कराती हैं है। इसे गन डॉग नस्ल वाला कुत्ता माना जाता है।

इसे बेहद फुर्तीला, अच्छे स्वभाव वाला खिलाड़ी प्रवृत्ति वाला कुत्ता माना जाता है। इनकी सामान्य तौर पर ऊंचाई 14 से 15 इंच तक होती है। इस नस्ल के कुत्तों को पहले लोग शिकार के समय अपने साथ ले जाना पसंद करते थे। इसके शरीर पर लंबे बाल पाए जाते हैं।

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