खतरे में अर्थव्यवस्था: किसान आंदोलन से रोजाना 3500 करोड़ रुपये का नुकसान

तेजी से बढ़ती कड़ाके की ठंड के बाद भी किसानों का हौसला कायम है। किसान अपनी मांगोें को पूरा करने की होड़ में लगे है, और मांगों को पूरा किए बिना दिल्ली के बॉर्डर से हटने को तैयार नहीं हैं। किसानों के विरोध के कारण रोजाना 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

Update:2020-12-15 14:45 IST
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नई दिल्ली। लगातार बीते 20 दिनों से किसान आंदोलन जारी है। तेजी से बढ़ती कड़ाके की ठंड के बाद भी किसानों का हौसला कायम है। किसान अपनी मांगोें को पूरा करने की होड़ में लगे है, और मांगों को पूरा किए बिना दिल्ली के बॉर्डर से हटने को तैयार नहीं हैं। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से ज्यादा है और साथ ही कोरोना वायरस महामारी की वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक मंदी के बीच 2020-21 में किसानों की हिस्सेदारी और भी अधिक होने की उम्मीद है।

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रोजाना 3500 करोड़ रुपये का नुकसान

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि, 'किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान हो। किसानों के विरोध के कारण रोजाना 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।' लेकिन इससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसी अर्थव्यवस्थाएं काफी हद तक प्रभावित हुई हैं।

देश के इन राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से एग्रीकल्चर यानी कृषि और हॉर्टीकल्चर(बागवानी) आधारित हैं। और फूड प्रोसेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल्स, ऑटोमोबाइल, फार्म मशीनरी और आईटी जैसी इंडस्ट्री भी इन राज्यों की जान है।

ऐसे में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और जम्मू एंड कश्मीर की कुल अर्थव्यवस्था 18 लाख करोड़ रुपये की है। किसानों द्वारा जारी विरोध के कारण सड़कें, टोल प्लाजा और रेलवे जैसी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।

इसी कड़ी में एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद ने कहा कि टेक्सटाइल्स, ऑटो कंपोनेंट, बाइसाइकल्स और स्पोर्ट उत्पादों जैसी इंडस्ट्री अपने निर्यात का ऑर्डर पूरा नहीं कर पाएंगी। सप्लाई चेन प्रभावित होने से फल और सब्जियों के खुदरा दाम भी बढ़े हैं।

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अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती

इसी सिलसिले में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने कहा है कि किसानों के आंदोलन की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है जिससे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। साथ ही सीआईआई ने कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा पुनरोद्धार का सिलसिला भी प्रभावित हो सकता है।

आगे सीआईआई ने कहा, 'अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर लाने की चुनौती के बीच हम सभी अंशधारकों से आग्रह करते हैं कि वे मौजूदा विरोध-प्रदर्शन के बीच कोई रास्ता ढूंढे और आपसी सहमति के समाधान पर पहुंचें।'

सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के चेयरमैन निखिल साहनी ने कहा, 'मौजूदा किसान आंदोलन का तत्काल हल निकलना चाहिए। इससे न केवल आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी बल्कि आपूर्ति श्रृंखला पर भी इसका असर पड़ रहा है। इससे बड़े और छोटे उद्योग समान रूप से प्रभावित हैं।'

भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन से आपूर्ति श्रृंखला पहले ही काफी बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हो रहा था लेकिन किसान आंदोलन की वजह से यह फिर दबाव में आ गई है। जिससे नई मुसीबत जन्म लेती दिखाई दे रही है।

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