ब्रह्मोस सबसे बड़ा खतरा: चीन के लिए बढ़ी मुसीबतें, भारत ने दी खुली चुनौती
चीन-पाकिस्तान को ललकारते हुए भारतीय नौसेना ने एक बार फिर भारत की सुपरसोनिक क्रुज मिसाइल ब्रह्मोस का बेहद खास परीक्षण किया है। मिसाइल के इस बार ये परीक्षण एंटी शिप संस्करण के तौर पर स्टील्थ टेक्नोलॉजी को नाकाम करने वाले आईएनएस रणविजय से किया गया है।
नई दिल्ली। दुश्मनों को ललकारते हुए भारतीय नौसेना ने एक बार फिर भारत की सुपरसोनिक क्रुज मिसाइल ब्रह्मोस का बेहद खास परीक्षण किया है। मिसाइल के इस बार ये परीक्षण एंटी शिप संस्करण के तौर पर स्टील्थ टेक्नोलॉजी को नाकाम करने वाले आईएनएस रणविजय से किया गया है। इस मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी(Bay Of Bangal) में स्थित निशाने को सटीके तरीके से ध्वस्त कर अपनी विश्वस्नीयता को एक बार फिर से सिद्ध कर दिया।
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मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण
ऐसे में ये मिसाइल चीन (China) के खिलाफ भारत की ऐसी ताकत है जहां चीन भारत से पीछे हो जाता है। भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने ब्रह्मोस (Brhamos) को अपने मानक जहाज से प्रक्षेपित करने वाली क्रूज मिसाइल के तौर पर अपनाया है और उसके सारे जहाज ब्रह्मोस को वर्टिकल लॉन्च में ले जाने लायक बनाए जा रहे हैं।
भारतीय नौसेना के हर पोत में 8 मिसाइल और हर विध्वंस्क पोत में 16 मिसाइल आ सकती हैं। इससे पहले पिछली 24 नवंबर को ही भारतीय सेना ने भी ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
भारत-चीन के बीच इस साल मई से चल रहे विवादों के चलते भारत ने अलग अलग मंचों पर ब्रह्मोस मिसाल (Brahmos Missile) का परीक्षण किया हैं। ऐसे में रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, ये परीक्षण चीन (China) के लिए संदेश हैं कि वह भारत के खिलाफ अपनी हरकतों से बाज आ जाए और भारत को हल्के में न ले।
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अधिक दूरी से भी वार करने में सक्षम
बता दें, महाशक्तिशाली ब्रह्मोस के जरिए भारतीय सेनाएं हवा, पानी और जमीन पर पास, मध्यम या अधिक दूरी से भी वार करने में सक्षम है। इस मिसाइल को लद्दाख और अरुणांचल प्रदेश में भारत और चीन के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) पर कई रणनीतिक जगहों पर तैनात किया गया है।
इस समय ब्रह्मोस (Brahmos) संस्करण भारत (India) और रूस (Russia) के बीच संयुक्त प्रयास का परिणाम है जिसमें 290 किलोमीटर की दूरी पर मार करने की क्षमता है। हालाकिं सितंबर में भारत ने इसका 400 किलोमीटर दूरी के निशाने पर सटीक वार करने सफलता पाई थी।
ऐसे में इससे साफ होता है कि ब्रह्मोस को भविष्य में लंबी दूरी पर प्रहार करन योग्य बनाया जा सकता है। जिससे यह मिसाइस 3000 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से वार कर सकती है और इसे दुश्मन सेना के लिए समय पर पहचान कर नष्ट कर पाना बहुत ही मुश्किल है। जिससे भारत को हर जंग में बड़ी कामयाबी हासिल होगी।
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