भारत में इंटरनेट बैन: हर घंटे हुआ करोड़ों का नुकसान, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

दिल्ली के आसपास इंटरनेट लॉकडाउन को लेकर अमेरिका की ओर से कहा गया कि किसी भी जानकारी को आम लोगों तक पहुंचाना, जिसका इंटरनेट भी एक हिस्सा है, वो एक अच्छे लोकतंत्र का हिस्सा है।

Update:2021-02-05 10:38 IST
डिजिटल प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली टॉप-10 VPN वेबसाइट ने सालाना रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, में हमारे देश में इंटरनेट पर पाबंदी से करोड़ों रुपए से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा।

नई दिल्ली: संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को जन्मसिद्ध अधिकार माना था। साथ ही ये भी कहा था कि लंबे समय तक इंटरनेट पर रोक लगाना मौलिक अधिकारों का हनन है। लेकिन एक सच ये भी है कि भारत दुनिया का पहला देश है, जहां इंटरनेट पर सबसे ज्यादा घंटों तक रोक लगी रही। डिजिटल प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली टॉप-10 VPN वेबसाइट ने सालाना रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, में हमारे देश में इंटरनेट पर पाबंदी से करोड़ों रुपए से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा।

इंटरनेट शटडाउन

पिछले साल के बाद इस साल 2021 की शुरुआत देश में इंटरनेट लॉकडाउन के साथ हुई। पिछले एक महीने में हरियाणा और राजधानी क्षेत्र (NCR) में किसानों के प्रदर्शन स्थल पर पांच मामले सहित देशभर में इंटरनेट शटडाउन के 7 मामले देखे गए हैं। विरोध स्थल के आसपास इंटरनेट सेवाओं के निलंबन ने दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया, हालांकि सरकार ने किसानों के विरोध स्थल पर इंटरनेट पाबंदी को नहीं बढ़ाया। दिल्ली के आसपास इंटरनेट लॉकडाउन को लेकर अमेरिका की ओर से कहा गया कि किसी भी जानकारी को आम लोगों तक पहुंचाना, जिसका इंटरनेट भी एक हिस्सा है, वो एक अच्छे लोकतंत्र का हिस्सा है।

 

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भारत पर पाबंदी असामान्य में इंटरनेट नहीं

हाल की इंटरनेट पाबंदी का हरियाणा के झज्जर, सोनीपत और पलवल जिलों में सबसे ज्यादा असर पड़ा है। हालांकि, भारत पर पाबंदी असामान्य में इंटरनेट नहीं हैं। देश पिछले चार साल में 400 से अधिक इंटरनेट शटडाउन हुआ है। वास्तव में, दुनिया का सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन भी भारत में दर्ज किया गया था। 4 अगस्त, 2019 से 4 मार्च, 2020 यानी कुल 223 दिनों के लिए संसद में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन कर दिया गया था।

 

 

एक रिपोर्ट में इन राज्यों पर पड़ा असर

फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश की तुलना अपने यहां सबसे ज्यादा इंटरनेट लॉकडाउन करता है। भारत में जम्मू-कश्मीर को सबसे ज्यादा इंटरनेट पाबंदी का सामना करना पड़ा। जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और महाराष्ट्का नंबर आता है। जहां इंटरनेट शटडाउन के कई मामले हैं।

 

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सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी

2017 में 21 बार रोक 2018 में 5 और 2019 में 6 बार रोक 3 दिनों से अधिक समय तक रहा। भारतीय कानूनों में इंटरनेट बंद करने का प्रावधान शामिल है। दूरसंचार विभाग टेंपरेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी रूल्स, 2017 के तहत एक क्षेत्र में इंटरनेट समेत टेलीकॉम सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित करने की अनुमति देता है। निलंबन आदेश केंद्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव द्वारा पब्लिक इमरजेंसी की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी किया जा सकता है।

देश में इंटरनेट पर रोक के पीछे जो दो सबसे बड़ी वजहें थीं, उनमें पहली राजनीतिक और दूसरी तनाव के हालात। इसमें भी सबसे ज्यादा 11 हजार 970 घंटे तक इंटरनेट पर रोक तनाव के हालात की वजह से रही।

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