Tejas-Rajdhani Express: अब राजधानी एक्सप्रेस में तेजस का एहसास, इन ट्रेनों के बदले जाएंगे रैक
Tejas-Rajdhani Express: हावड़ा से कोडरमा के रास्ते नई दिल्ली के लिए ट्रेन को 6 दिसंबर, 1906 से चलाया जा रहा है। अब 117 साल के बाद यह सुविधा शुरू होने के बाद यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी।
Tejas-Rajdhani Express: अब राजधानी एक्सप्रेस में भी यात्री तेजस का एहरसास करेंगे। दरसल नई दिल्ली-हावड़ा ग्रैंड कोड सेक्शन के कोडरमा धनबाद के रास्ते चार राजधानी एक्सप्रेस का परिचालन किया जा रहा है। भारतीय रेलवे इन सभी राजधानी एक्सप्रेस को तेजस के रैक में बदलने की तैयारी शुरू कर दी है।
इन 4 ट्रेनों के बदले जाएंगे रैक
भारतीय रेलवे द्वारा भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस एवं नई दिल्ली से राजेंद्र नगर पटना राजधानी एक्सप्रेस सफल परीक्षण के बाद इस रूट पर चलने वाली सभी राजधानी एक्सप्रेस को तेजस के रूप में परिचालन किया जाएगा।
इस रूट पर नई दिल्ली-रांची राजधानी, नई दिल्ली-हावड़ा राजधानी, नई दिल्ली-कोलकाता राजधानी एक्सप्रेस का परिचालन किया जा रहा है। बता दें कि हावड़ा से कोडरमा के रास्ते नई दिल्ली के लिए ट्रेन को 6 दिसंबर, 1906 से चलाया जा रहा है। अब 117 साल के बाद यह सुविधा शुरू होने के बाद यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी।
पहले से आरामदायक हो गया सफर
गौरतलबह है कि कोडरमा, बोकारो, गोमो और गया जंक्शन के रास्ते होकर चलने वाली भुवनेश्वर-दिल्ली राझधानी एक्सप्रेस कोच को दो महीने पहले ही बदला गया था। यह ट्रेन तेजस राधानी के रूप में चलाई जा रही है। जिससे यात्रियों की यात्रा पहले के मुकाबले आरामदायक हो गई है। एलएचबी कोच जुड़ने से सीटों की संख्या में भी वृद्धी हो गई है। इसके अलावां तेजस कोच में इलेक्ट्रो-न्यूमैटिक असिस्टेड ब्रेक, ऑटोमेटिक एंट्रेंस, प्लग टाइप डोर, ई-लेदर अपहोल्स्ट्री की सुविधा भी दी गई है।
कपूरथला में होता है एलएचबी कोच का निर्माण
अभी तक ट्रेनों में एलएचबी कोच का प्रयोग किया जाता था। लेकिन तेजस एलएचबी कोच इन कोच से काफी बेहतर और सुरक्षित होता है। एलएचबी का फुल फार्म- लिंक हाफमैन बुश है। यह कपूरथला कोच फैक्ट्री, पंजाब में बनता है। इस कोच को सबसे पहले 2000 में जर्मनी से लाया गया था। इसके बाद से इसी तकनीक पर आधारित कोच का निर्माण भारत में ही होने लगा।
आधुनिक सुविधाओं से लैश एलएचबी कोच
एलएचबी कोच की आयु करीब 30 वर्ष होती है। यह स्टेनलेस स्टील से बनाया जाता है। जिस कारण यह काफी हल्की होती है। इस प्रकार के कोच में डिस्क ब्रेक का स्तेमाल होता है। इस प्रकार के कोच को 24 महीने में सिर्फ एक बार जांच की आवश्यकता होती है। यह सीसीटीवी कैमरे से लैश होता है।
अधिकतम 200 किमी प्रति घंटे की गति से इसका परिचालन किया जा सकता है। इसकी सामान्य गति 160 किमी प्रति घंटा है। इसके रखरखाव में कम खर्चा आता है। कोच में अधिक यात्रियों की बैठने की सुविधा होती है। स्लीपर क्लास में 80, थर्ड एसी में 72 बर्थ होता है। यह कोच 1.7 मीटर अधिक लंबे होते हैं। दुर्घटना होने के बाद भी डिब्बे एकदूसरे पे नहीं चढ़ते। क्योंकि इसमें सेंटर बफर काउलिंग सिस्टम लगा होता है।