अभूतपूर्व कदम: पटना से हुई छोटे शहरों में IT के एक नए युग की शुरुआत, जानें कैसे
नई दिल्ली: केंद्रीय आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार (11 मई) को पटना में सॉफ्टेवयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (TCS) के पहले बीपीओ सेंटर का उद्घाटन किया। टाटा के इस बीपीओ की कैपेसिटी फिलहाल एक हजार है, जो आगे 1900 हो जाएगी। इसमें करीब 4000 लोगों को नौकरी मिलेगी। कंपनी इसमें 100 करोड़ का निवेश करेगी। यह पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कॉल सेंटर होगा।
पटना में इस हफ्ते 1,000 सीटों वाले बीपीओ की शुरुआत होने जा रही है। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (STPI) की ओर से उठाया गया यह कदम है। यह अभूतपूर्व कदम छोटे शहरों में सूचना-प्रौद्योगिकी के एक नए युग की शुरुआत होगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एसटीपीआई की योजना इंडिया बीपीओ प्रोमोशन स्कीम (IBPS) के तहत पूरे देश में 48,000 सीटों वाले बीपीओ खोलने की है। इसका उद्देश्य 72,450 लोगों को नौकरी उपलब्ध कराना है, लेकिन यह मंझोले तथा छोटे शहरों तक ही सीमित होगा।
बिहार में पहली बार
एसटीपीआई के महानिदेशक ओमकार राय ने आईएएनएस से कहा, 'ऐसा पहली बार होगा, जब बिहार में उद्योग के कदम पड़ेंगे। अकेले बिहार के लिए 4,600 सीटों की व्यवस्था की गई है, जिनमें से 1,910 सीटों का आवंटन पहले ही हो चुका है।
1,000 सीटों के लिए न्यूनतम 1,500 रिक्तियां पर न्यूनतम 50 फीसदी अतिरिक्त रिक्तियों के आधार पर एसटीपीआई का मानना है कि निकट भविष्य में वे हर सीट (एक सीट के लिए तीन नौकरी) की क्षमता का दोहन करने में सक्षम होंगे।
युवाओं को दिलाएगी रोजगार
इस योजना का क्रियान्वयन 20 राज्यों के 50 शहरों में सीटों का बंटवारा कर किया जा रहा है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज इस सप्ताह 1,000 सीटों के साथ पटना में बीपीओ की शुरुआत करेगी। बिहार में अपनी तरह के इस अनूठे पहल का उद्देश्य राज्य के मुजफ्फरपुर तथा दलसिंहसराय जैसे छोटे शहरों के युवाओं को रोजगार मुहैया कराना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य देश के रायपुर, सिलिगुड़ी, शिमला, सोपोर, देहरादून, सेलम, कोझिकोड, त्रिची, सागर, नागपुर, गाजीपुर, बरेली, झांसी, उन्नाव तथा वाराणसी में भी बीपीओ खोलना है।
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IT को छोटे शहरों तक लाना
अधिकारियों ने कहा कि देश भर में 48,000 सीटों के अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 5,000 अतिरिक्त सीटों की व्यवस्था की गई है। राय ने कहा कि शुरुआती दौर में मंझोले तथा छोटे शहरों में अभियान अपेक्षाकृत छोटा होगा, लेकिन धीरे-धीरे उनमें विस्तार होगा। उन्होंने कहा, 'हम यहां रोशनी की एक किरण लाने की कोशिश कर रहे हैं। सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा जगजाहिर है। इस योजना का विचार केवल नौकरियों के सृजन तथा छोटे शहरों में सूचना-प्रौद्योगिकी की क्रांति लाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सूचना-प्रौद्योगिकी की कुछ प्रक्रियाओं को बड़े शहरों से छोटे शहरों तक ले जाना भी है।"
एसटीपीआई के दृष्टिकोण से बीपीओ सूचना-प्रौद्योगिकी या सॉफ्टवेयर तक ही सीमित नहीं है। जिस तरह सीटों की योजना बनाई गई है और प्रस्ताव किया जा रहा है, उसमें स्वास्थ्य सेवाएं, विनिर्माण, निर्माण, वित्तीय सेवाएं तथा होटल उद्योग जैसे क्षेत्रों के कार्यो को भी आउटसोर्स कराने का प्रयास किया जाएगा।
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अब अपने ही शहरों में करेंगे रुख
राय ने कहा, 'अब से 10 साल बाद गुड़गांव तथा पुणे में इस तरह के काम बहुत ज्यादा नहीं होंगे। नौकरियों का सृजन छोटे शहरों में किया जाएगा। बड़े स्तर वाले और नेतृत्व वाले कार्यालय ही बड़े शहरों में रहेंगे। धीरे-धीरे शीर्ष कार्यालय भी छोटे शहरों में खोले जाएंगे।' अधिकारियों ने कहा कि इसके पीछे यही विचार है कि जिस काम को करने के लिए लोग बड़े शहरों की ओर रुख करते हैं, वह काम वे उतने ही वेतन में अपने शहरों में कर पाएंगे।
क्या है इनका उद्देश्य
एक और कारण संचालन संबंधी लागतों को कम कर आउटसोर्सिग के लिए भारत के सबसे बेहतरीन गंतव्य के तमगे को भी बरकरार रखना है, जैसे फिलीपींस तथा बांग्लादेश जैसे देश विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। राय ने कहा, 'यह जरूरी है कि बीपीओ उद्योग बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ रुख करें। बड़े शहरों की जगह छोटे शहरों में लागत काफी कम है। इसका उद्देश्य छोटे शहरों की पीढ़ी की ऊर्जा का इस्तेमाल करना और उन्हें उनके शहर में नौकरियां मुहैया कराना है।"
उन्होंने कहा, 'अगली बार, जब आप ट्रेन से बिहार से गुजरेंगे, तो पटना की स्टार्ट-अप कंपनी रेल रेस्टोरेंट का इस्तेमाल करने का प्रयास करें।इस तरह की छोटी पहल जल्द ही बिहार तथा देश के अन्य छोटे शहरों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।'