इस लोकसभा में संविधान में संशोधन करना होगा मुश्किल, जनिये क्यों?
Modi 3.0 : नई एनडीए सरकार और 18 वीं लोकसभा के कामकाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव ये देखने को मिल सकता है कि इस बार कोई बहुत बड़ा संवैधानिक संशोधन न हो पाए।
Modi 3.0 : नई एनडीए सरकार और 18 वीं लोकसभा के कामकाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव ये देखने को मिल सकता है कि इस बार कोई बहुत बड़ा संवैधानिक संशोधन न हो पाए। चूंकि इस बार एक मजबूत विपक्ष सदन में होगा सो गठबंधन सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी), निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना जैसे विवादास्पद मुद्दों को लागू करने में मुश्किल स्थिति में होगी।
एक देश एक चुनाव में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे प्रस्तावों के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होती है।
जानकारों के अनुसार, अब विपक्ष की सहमति के बिना संविधान संशोधन नहीं किया जा सकेगा क्योंकि संविधान के अधिकांश प्रावधानों को प्रत्येक सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत से संशोधित करने की आवश्यकता होती है।
विपक्ष की मदद के बिना नहीं हो पाएगा संशोधन
इस सदन में विपक्ष की मदद के बिना सरकार संविधान में कोई संशोधन नहीं कर सकती है। लोकसभा सांसद गोगोई का कहना है कि एक मजबूत विपक्ष संविधान संशोधन के किसी भी प्रयास को विफल कर देगा। अब सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना चर्चा के पारित कराकर संसदीय प्रक्रियाओं को बाईपास नहीं कर सकेंगे।