जमीअत की पहल, जिस घर में शौचालय नहीं, वहां धार्मिक रस्म नहीं निभाएंगे उलेमा

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि फैसले के तहत जिस घर में शौचालय नहीं होगा, वहां मुफ्ती निकाह समेत किसी भी तरह की शादी की रस्म नहीं कराएंगे। शुरुआत में तीन प्रदेशों में शादी के लिये शौचालय का होना अनिवार्य कर दिया गया है।

Update: 2017-02-19 10:50 GMT

गुवाहाटी: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने फैसला किया है कि जिस घर में शौचालय नहीं होगा, वहां वे किसी भी किस्म के धार्मिक रस्म ओ रिवाज में शामिल नहीं होंगे। जमीअत उलेमा ए हिंद ने इसकी पहल की है। जमीअत के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने इसका ऐलान करते हुए बताया कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह फैसला लागू किया जा चुका है और जल्दी ही यह पूरे देश में सुनिश्चित किया जाएगा।

शौचालय नहीं, तो निकाह नहीं

-मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि फैसले के तहत तय किया गया है कि जिस घर में शौचालय नहीं होगा, वहां मुफ्ती निकाह समेत किसी भी तरह की शादी की रस्म नहीं कराएंगे।

-जमीअत महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि शुरुआत में तीन प्रदेशों में शादी के लिये शौचालय का होना अनिवार्य कर दिया गया है।

-मौलाना मदनी ने असम के खानापारा में ऐस्कॉन-2017, कॉन्फ्रेंस ऑन सैनिटेशन के आयोजन के मौके पर इसकी जानकारी दी।

-पूर्व राज्यसभा सांसद महमूद मदनी ने सभी धर्मों के धर्मगुरुओं से इस तरह की घोषणा किये जाने की अपेक्षा की है।

-जमीअत महासचिव ने कहा कि सभी धर्मगुरु ऐसे घरों के धार्मिक आयोजनों में शामिल होने से इनकार करें, जहां शौचालय न हो।

-मौलाना मदनी ने मन की पवित्रता के लिये शारीरिक सफाई का होना जरूरी बताया।

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