जम्मू-कश्मीर में कई पूर्व आतंकियों और अलगाववादियों ने बनाई पार्टी, अफजल गुरु का भाई एजाज भी लड़ेगा चुनाव
J&K Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होने वाला है और पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होगा।
J&K Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में कई पूर्व आतंकी और अलगावादी भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। इन लोगों ने सोमवार को तहरीक-ए-अवाम नाम से एक नई पार्टी का गठन भी कर लिया है।
इस पार्टी के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी है। तहरीक-ए-अवाम से जुड़ने वाले प्रमुख लोगों में अफजल गुरु का भाई एजाज अहमद गुरु भी शामिल है। वह भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटा हुआ है। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होने वाला है और पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होगा।
राशिद इंजीनियर की कामयाबी के बाद किया फैसला
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में अमृतपाल सिंह समेत दो अलगाववादी चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। पंजाब में भाजपा, कांग्रेस, आप और अकाली दल जैसे प्रमुख दलों के होने के बावजूद इन अलगाववादियों ने जीत हासिल की थी। इस ट्रेंड पर चिंता भी जताई गई थी मगर पंजाब की तर्ज पर ही अब जम्मू-कश्मीर में भी पूर्व आतंकी और अलगावादी चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान अलगाववादी राशिद इंजीनियर को कामयाबी मिली थी। राशिद इंजीनियर ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को चुनाव में हरा दिया था। तहरीक-ए-अवाम से जुड़ने वाले प्रमुख लोगों का कहना है कि राशिद इंजीनियर की इस कामयाबी के बाद ही उन्होंने नई पार्टी का गठन करके विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
अफजल गुरु का भाई भी चुनाव लड़ने की तैयारी में
तहरीक-ए-अवाम से जुड़ने वाले प्रमुख लोगों में संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरु का भाई एजाज अहमद गुरु भी शामिल है। 2001 में संसद में हुए आतंकी हमले के मामले में अफजल गुरु को 2013 में फांसी दी गई थी। अब एजाज अहमद गुरु भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। एक और चर्चित नाम सरजन बरकती का है जो इन दिनों श्रीनगर जेल में बंद है।
बरकती हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल रहा है। बरकती पिछले साल अगस्त से ही जेल में बंद है। बाद में नवंबर महीने के दौरान उसकी पत्नी को भी टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जानकारों का कहना है कि बरकती भी चुनाव मैदान में उतर सकता है। अलगाववादियों के चुनाव मैदान में उतरने से नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
राशिद से हार गए थे उमर अब्दुल्ला
लोकसभा चुनाव के दौरान अलगाववादी नेता राशिद इंजीनियर ने बारामूला लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद होने के कारण राशिद इंजीनियर के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उसके बेटों ने संभाली थी और राशिद इंजीनियर ने 4.7 लाख वोटों से जीत हासिल की थी।
उल्लेखनीय बात यह है कि उन्होंने उमर अब्दुल्ला जैसे ताकतवर उम्मीदवार को इतनी बड़ी मार्जिन से हराया था। राशिद इंजीनियर की इस जीत से अलगाववादियों का हौसला बढ़ा है और उनका मानना है कि घाटी में मतदाताओं का एक ऐसा वर्ग है जो मुख्य धारा के राजनीतिक दलों की जगह अलगाववादियों को समर्थन दे सकता है।
राशिद की पार्टी ने भी उतारे प्रत्याशी
सियासी जानकारों का कहना है कि इसी कारण अलगाववादियों ने अलग राजनीतिक दल का गठन किया है। राशिद इंजीनियर की पार्टी अवामी इत्तेहाद की ओर से भी कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे जा चुके हैं। अल्ताफ बुखारी ने भी राशिद इंजीनियर के भाई और बेटे से मुलाकात करके गठबंधन पर चर्चा की है। इस तरह जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में अलगाववादी ताकतें भी पूरी तरह सक्रिय दिख रही हैं।