Jammu Voters: जम्मू में बाहरी मतदाताओं पर लिया गया फैसला वापस, राजनीतिक दलों ने किया था भारी विरोध

Jammu Voters: जम्मू के उपायुक्त की ओर से मंगलवार को ही आदेश जारी किया गया था मगर बुधवार की देर रात इसे वापस ले लिया गया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-10-13 03:54 GMT

Jammu outside voters (photo: social media )

Jammu Voters: जम्मू में एक साल से रह रहे लोगों को मतदाता बनाने की प्रक्रिया रुक गई है। जम्मू के उपायुक्त ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसने ऐसे लोगों को मतदाता बनाने का फैसला किया गया था। दरअसल जम्मू में एक अधिसूचना जारी करके सभी तहसीलदारों को जम्मू में एक साल से अधिक समय से रह रहे लोगों को निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया गया था। निवास प्रमाण पत्र के आधार पर ही इन लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाना था मगर उपायुक्त ने अब इस अधिसूचना को वापस ले लिया है।

कई राजनीतिक दलों में जम्मू में जारी की गई इस अधिसूचना पर तीखा विरोध जताया था। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस छोड़कर हाल में नया राजनीतिक दल बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने इस अधिसूचना पर तीखी आपत्ति जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी। इसे लेकर काफी विवाद पैदा होने के बाद अब जम्मू के उपायुक्त ने अधिसूचना को वापस ले लिया है। मजे की बात यह है कि शासन की ओर से इस बाबत कोई स्पष्टीकरण भी नहीं जारी किया गया है।

फैसला वापसी के पीछे राजनीतिक विरोध

जम्मू के उपायुक्त की ओर से मंगलवार को ही आदेश जारी किया गया था मगर बुधवार की देर रात इसे वापस ले लिया गया। एक दिन में ही इस आदेश को वापस लेने के पीछे राजनीतिक दलों के विरोध को बड़ा कारण माना जा रहा है। राज्य की सभी विपक्षी पार्टियां इस आदेश के खिलाफ पूरी तरह एकजुट हो गई थीं और उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिए थे।

जम्मू के जिला चुनाव अधिकारी की ओर से जारी आदेश में उन कागजात की सूची भी दी गई थी जिनके आधार पर लोगों को मतदाता बनाया जाना था। आदेश में यह भी कहा गया था कि जिन लोगों के पास कागज नहीं होगा, उनका नाम भौतिक सत्यापन के बाद मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। इस आदेश के जारी होते ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। माना जा रहा है कि इसी कारण इस आदेश को वापस लिया गया है।

महबूबा मुफ्ती ने भाजपा को घेरा

पीडीपी की मुखिया और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह आदेश जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं के वोट की कीमत पूरी तरह खत्म कर देगा। उनका सवाल है कि जब इस तरह का कानून पूरे देश में कहीं भी लागू नहीं है तो इसे जम्मू-कश्मीर में क्यों लागू किया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों को मिटाकर बाहरी लोगों को यहां पर बसाने की साजिश रच रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने सियासी फायदे के लिए ही राज्य में नए परिसीमन की व्यवस्था लागू की है।

आजाद ने भी किया विरोध

राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस आदेश का जबर्दस्त विरोध किया है। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को केंद्र शासित प्रदेश में वोट देने की अनुमति नहीं प्रदान की जानी चाहिए। बाहर के लोगों को वोट डालने की अनुमति देना पूरी चुनाव व्यवस्था का मखौल उड़ाना है। आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में केवल स्थानीय लोगों को ही वोटिंग का अधिकार हासिल होना चाहिए। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की थी।

जम्मू के उपायुक्त की ओर से आदेश को वापस तो जरूर ले लिया गया है मगर प्रदेश शासन की ओर से अभी तक इस बाबत कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह आदेश संशोधित रूप में लागू किया जाएगा या नहीं।

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