पाकिस्तान भीख माँगेगा: इमरान ने कराई फिर से थू-थू, OIC में हार गया मुस्लिम देश

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिलने के बाद से पाकिस्तान मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी(OIC) से विदेश मंत्रियों की बैठक की मांग कर रहा था। लेकिन ओआईसी(OIC) ने पाकिस्तान की बात भी नहीं सुनी।

Update:2020-11-30 13:16 IST
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिलने के बाद से पाकिस्तान मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी(OIC) से विदेश मंत्रियों की बैठक की मांग कर रहा था।

नई दिल्ली। बीते साल 2019 में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया, जिसके बाद से पाकिस्तान बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है। उसी के बाद से पाकिस्तान मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी(OIC) से विदेश मंत्रियों की बैठक की मांग कर रहा था। लेकिन ओआईसी(OIC) ने पाकिस्तान की बात भी नहीं सुनी। जिससे पाकिस्तान इतना ज्यादा खीझ गया कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इसी साल अगस्त में कह दिया कि अगर सऊदी अरब उनकी बात नहीं सुनेगा तो ओआईसी(OIC) से अलग कश्मीर का मुद्दा उठाएगा और बचे हुए मुस्लिम देशों को एकजुट करेगा।

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सऊदी के खिलाफ बोलकर गलती

ऐसे में सऊदी को पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान बहुत खराब लगा। जिस पर उसने पाकिस्तान से कर्ज लौटाने की मांग शुरू कर दी। लेकिन पाकिस्तान को बाद में लगा कि उसने सऊदी के खिलाफ बोलकर गलती कर दी और बाद में मनाने की कोशिश करने लगा। हालाकिं तब तक मामला हाथ से निकल चुका था।

दरअसल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन(OIC) के विदेश मंत्रियों की 47वीं सीएफएम (काउंसिल ऑफ फॉरन मिनिस्टर्स) नाइजर राजधानी नियामे में 27-28 नवंबर को आयोजित हुई। इसका आयोजन भी उस कॉन्फ्रेंस सेंटर में हुआ जिसका नाम महात्मा गांधी अंतराराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सेंटर है और इसे भारत द्वारा ही बनाया गया है।

फोटो-सोशल मीडिया

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कश्मीर का जिक्र

बेहद खास बात तो ये कि कश्मीर के विशेष दर्जा खत्म होने के बाद यह पहली बैठक थी और तभी पाकिस्तान को लग रहा था कि इसमें भारत को कश्मीर के मुद्दे पर खूब खरी-खोटी सुनाई जाएगी, पर ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ।

बैठक में नियामे डेक्लेरेशन में इस बार कश्मीर का जिक्र किया गया और रस्मअदायगी के तौर पर कहा कि ओआईसी कश्मीर विवाद का यूएएनएससी के प्रस्ताव के अनुसार शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।

हालाकिं पाकिस्तान ने अपनी पूरी कोशिश की थी कि इस बार सीएफएम में कश्मीर एक अलग एजेंडा के रूप में शामिल हो लेकिन नहीं हो पाया। यहां तक कि कश्मीर को एजेंडा के तौर पर शामिल ही नहीं किया गया।

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