JEE-NEET का विरोध और तेज: शिक्षा मंत्री पर भड़के स्टूडेंट्स, दे डाली ये चुनौती
जेईई मेंस और नीट परीक्षाओं को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कई राज्यों और राजनीतिक दलों ने कोरोना संकट के इस दौर में परीक्षा कराने का विरोध करते हुए छात्र हित में इसे टालने की मांग की है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: जेईई मेंस और नीट परीक्षाओं को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कई राज्यों और राजनीतिक दलों ने कोरोना संकट के इस दौर में परीक्षा कराने का विरोध करते हुए छात्र हित में इसे टालने की मांग की है। दूसरी ओर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि छात्रों की मेजोरिटी परीक्षा कराने के पक्ष में है। शिक्षा मंत्री के इस बयान पर छात्रों का बड़ा वर्ग भड़क गया है और गुरुवार को इसे लेकर शिक्षा मंत्री को जमकर कोसा गया। स्टूडेंट्स ने शिक्षा मंत्री को एनटीए की वेबसाइट पर पोल कराने की चुनौती भी दी।
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एनटीए में पूरी कर लीं तैयारियां
इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली देश की सबसे बड़ी परीक्षा जेईई मेंस इस बार 1 से 6 सितंबर के बीच आयोजित होनी है। वहीं मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाली नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। एनटीए ने इन दोनों परीक्षाओं की तैयारी कर ली है। एनटीए का दावा है कि परीक्षा के दौरान इतना एहतियात बरता जाएगा कि छात्रों को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होगा। एनटीए की ओर से छात्रों से बेहिचक इन परीक्षाओं में हिस्सा लेने की अपील की गई है।
सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंडिंग
दूसरी और सोशल मीडिया पर कोरोना के बीच इन परीक्षाओं के आयोजन का स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि परीक्षार्थियों के हितों को देखते हुए कोरोना संकट के दौर में परीक्षाओं का आयोजन न किया जाए। गुरुवार को #PostponeNEET_JEEinCovid टॉप फाइव ट्रेंडिंग में रहा। दोपहर तक इसमें करीब सवा लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स परीक्षा के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुके थे।
इसके अलावा #AntiStudentsNarendraModi भी ट्रेंडिंग में रहा। इसमें भी काफी संख्या में छात्र-छात्राओं और उनके पैरंट्स ने ट्वीट कर मौजूदा हालात में परीक्षा के आयोजन पर विरोध जताया।
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निशंक का परीक्षा के समर्थन का दावा
स्टूडेंट्स केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल के इस बयान से नाराज हैं कि स्टूडेंट्स की साइलेंट मेजोरिटी परीक्षा कराने के समर्थन में है। निशंक के दावा किया था कि मेरे पास रोजाना अनगिनत ऐसे मेल आते हैं।
उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स किसी भी सूरत में यह नहीं चाहते हैं कि मौजूदा साल जीरो ईयर घोषित हो। छात्र-छात्राओं को अपना साल बचाने की चिंता सता रही है। ऐसे में परीक्षाओं को डालना उचित कदम नहीं होगा। उन्होंने का भी दावा किया था कि 80 फ़ीसदी से अधिक स्टूडेंट्स एडमिट कार्ड डाउनलोड कर चुके हैं।
साइलेंट मेजॉरिटी के बयान पर नाराजगी
शिक्षा मंत्री के साइलेंट मेजॉरिटी संबंधी बयान पर स्टूडेंट्स ने तीखा विरोध जताया है। उनका कहना है कि शिक्षा मंत्री गलत बयानी कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि एनटीए की वेबसाइट पर पोल करा कर इस बात की तस्दीक की जा सकती है कि कितने स्टूडेंट्स परीक्षा कराने के पक्ष में हैं और कितने नहीं। छात्रों का गुस्सा इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि कई स्टूडेंट्स ने तो ट्विटर पर खुद ही पोल करना शुरू कर दिया है।
छात्रों ने दिए कोरोना के आंकड़े
छात्रों ने यह तर्क भी दिया है कि देश में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। बुधवार को रिकॉर्ड करीब 76000 केस एक दिन में दर्ज किए गए। देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 33 लाख के ऊपर पहुंच चुका है। कई स्टूडेंट्स ने अपने ट्वीट के साथ देश में कोरोना के आंकड़ों की दलील भी दी है और कहा है कि इन परिस्थितियों में सरकार को स्टूडेंट्स की जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
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सियासी माहौल भी गरमाया
जेईई मेंस और नीट के मुद्दे पर सियासी माहौल भी गरमा गया है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और परीक्षा को टालने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को इस मुद्दे पर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की। इस बातचीत के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी राज्यों से इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की अपील की।
देश के कई हिस्सों में विरोध
देश के विभिन्न हिस्सों में इन परीक्षाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और गिरफ्तारियां देने की भी खबरें हैं। लखनऊ में भी सपा कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर राजभवन पर प्रदर्शन किया। आप कार्यकर्ताओं ने भी परीक्षाएं स्थगित कराने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और ज्ञापन दिया। आप का कहना है कि मौजूदा माहौल में परीक्षा का आयोजन किसी भी नजरिए से उचित नहीं है।
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