झारखंड: उर्दू स्कूलों में जुमा की छुट्टी पर विवाद, शुक्रवार की जगह किया रविवार
मांडर विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पूर्व की भांति शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश देने की मांग की है। उन्होने लिखा है कि, अगर उर्दू स्कूलों में सुधार करना है तो शिक्षक संघों और सामाजिक संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए।
रांची: झारखंड के प्रारंभिक उर्दू स्कूलों में जुमा को मिलने वाली छुट्टी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने 12 जनवरी को छुट्टी की सूची जारी की जिसमें शुक्रवार की जगह रविवार को साप्ताहिक अवकाश दिखाया गया है। हालांकि, पूर्व से उर्दू स्कूलों में जुमा को साप्ताहिक अवकाश दिया जा रहा था। विभन्न शिक्षक संघों ने इसे अनुचित बताते हुए संविधान से प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसे लेकर आवाज़ बुलंद की है। सरकार को समर्थन देने वाले मांडर विधायक बंधु तिर्की और झामुमो एमएलए सुदिव्य कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसपर आपत्ति जताई है।
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विधायकों का तर्क
मांडर विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पूर्व की भांति शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश देने की मांग की है। उन्होने लिखा है कि, अगर उर्दू स्कूलों में सुधार करना है तो शिक्षक संघों और सामाजिक संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए। एकतरफा निर्णय लेना न्यायसंगत नहीं है। बंधु तिर्की ने कहा कि, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निर्णय से मुस्लिम समाज में रोष है। लिहाज़ा, इस निर्णय को रद्द करते हुए पूर्व की भांति शुक्रवार को छुट्टी दी जाए। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने मुख्यमंत्री से मिलकर कहा कि, उर्दू स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश को बदलना व्यावहारिक नहीं है। इससे छात्रों और शिक्षकों को भारी परेशानी होगी। लिहाज़ा, इसमें बदलाव किया जाए।
शिक्षक संघों की मांग
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा है कि, अवकाश तालिका को लेकर शिक्षकों को घोर आपत्ति है। अबतक प्रारंभिक स्कूलों की अवकाश तालिका ज़िला स्तर ज़िला शिक्षा अधीक्षक द्वारा तैयार की जाती थी। जिसमें स्थानीय और लोक त्योहारों को स्थान दिया जाता था। इस बार प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने राज्य स्तर निर्णय लेकर इसे अंतिम रूप दे दिया है। संघ ने कहा है कि, अवकाश तालिका में उर्दू स्कूलों को शुक्रवार को मिलने वाली साप्ताहिक अवकाश को भी सालाना अवकाश में दिखाया गया है। लोक आस्था से जुड़े पर्व टुसू, करमा, मनसा पूजा, जितिया और तीज में भी अवकाश नहीं दिया गया है।
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क्या है प्रावधान
झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष शमीम अली की मानें तो ब्रिटिश सरकार के दौरान भी उर्दू और हिंदी स्कूलों के लिए अलग-अलग साप्ताहिक अवकाश निर्धारित थी। संयुक्त बिहार और झारखंड अलग होने के बाद भी उर्दू स्कूलों को शुक्रवार को छुट्टी मिलती थी। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुसार जो नियम बिहार राज्य में है उसी नियम के अनुसार झारखंड में भी नियमों का निर्धारण होगा। हालांकि, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ऐसा नहीं कर मनमर्जी कर रहा है। जल्द ही निर्णय में बदललाव नहीं किया गया तो पूरे राज्य में आंदोलन होगा।
रिपोर्ट- शाहनवाज़
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