झारखंड का ये नेता 1995 से अब तक नहीं हारा एक भी चुनाव, लेकिन इस बार...

Update: 2019-12-23 08:37 GMT

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) के सामने प्रदेश के 19 साल के राजनीतिक तिलिस्म को तोड़ने की चुनौती है। भाजपा विधायक रघुवर दास के लिए दोबारा सत्ता में आना किसी चुनौती से कम नहीं, वो भी तक जब अब तक अपने राजनीतिक सफ़र में वो एक नही चुनाव नहीं हारें, लेकिन इस बार स्थिति कुछ विपरीत है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक़ वह हार की तरफ बढ़ते नजर आ रहें हैं।

मजदूरी से राजनीति तक का सफर:

3 मई 1955 में रघुवर दास का जन्म जमशेदपुर में हुआ। बचपन अभावों में गुजरा तो क्षेत्र की टाटा स्टील रोलिंग मिल में मजदूरी करके अपना सफ़र शुरू किया। भालुबाला हरिजन विध्याल से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद रघुवर दास ने जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी और विधि स्नातक की किया। उनके परिवार में पत्नी समेत पुत्र और पुत्री हैं।

पांच बार लगातार चुनाव जीतें हैं रघुवर दास:

साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही पार्टी से जुड़े रघुवर दास ने पहली बार साल 1995 में जमशेदपुर पूर्व से विधायकी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उस समय उनका टिकट बीजेपी के प्रसिद्ध विचारक गोविंदाचार्य ने तय किया था।

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इसके बाद उनका सुनहारा राजनीतिक सफ़र शुरू हो गया। फिर तो एक के बाद चुनावों में मिली जीत से उनकी राजनीति में जड़े मजबूत होती गयीं। लगातार पांच बार रघुवर दास ने इसी क्षेत्र से चुनाव जीता।

इन विभागों का संभाला कार्यभार

साल 2000 से 2003 तक राज्य के श्रम मंत्री रहे, फिर मार्च 2003 से 14 जुलाई 2004 तक भवन निर्माण और 2005 से 2006 तक झारखंड के वित्त, वाणिज्य और नगर विकास मंत्री रहे। इसके अलावा दास साल 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ बनी बीजेपी की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री, वित्त, वाणिज्य, कर, ऊर्जा, नगर विकास, आवास और संसदीय कार्य मंत्री भी रहे।

गौरतलब है कि रघुवर दास का नाम कई विवादों से भी जुड़ा। दास पर गलत तरीके से पुरस्कार वितरण का आरोप भी लग चुका है।

झारखंड के हर मुख्यमंत्री को झेलनी पड़ी है हार:

झारखंड के इतिहास में अब तक जो भी नेता सीएम बना, उसे कभी न कभी हार का स्वाद झेलना पड़ा है। अब तक कोई भी भूतपूर्व सीएम इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सका है। हालांकि जमशेदपुर पूर्व सीट शहरी मतदाताओं का केंद्र रहा है और इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। रघुवर दास छठी बार इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रहें हैं।

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इतिहास बदलने की कवायद में पिछड़ रहें हैं दास:

अब देखना ये होगा कि दास एक बार फिर इस सीट पर अपनी जीत का परचम लहरा पाते हैं या नहीं, उनकी जीत से झारखंड की राजनीति का इतिहास बदल सकता है। बता दें कि दास का मुकाबला भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सरयू राय से हैं।

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