झारखंड में हेमंत सोरेन की सियासी राह आसान नहीं, विधानसभा चुनाव में एनडीए की कड़ी चुनौती का करना होगा सामना

Jharkhand Politics: गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वैसे मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-04 05:01 GMT

Hemant Soren   (PHOTO: SOCIAL MEDIA)

Jharkhand Politics: झारखंड में इन दोनों सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और सत्तारूढ़ विधायकों की बैठक में नेता चुने जाने के बाद हेमंत सोरेन ने नए मुख्यमंत्री के रूप में राज्यपाल के सामने अपना दावा भी पेश कर दिया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा होने के कारण हेमंत सोरेन की ताजपोशी का रास्ता साफ हो गया है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

वैसे मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। जमानत पर रिहाई के बाद वे तीखे तेवर दिखाते रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर खुद को झूठे मामले में फंसाने का आरोप भी लगाया है। झारखंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव का नतीजा सत्तारूढ़ खेमे के लिए ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं रहा है और ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान भी हेमंत सोरेन को मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

चंपई के इस्तीफे के बाद अब हेमंत की होगी ताजपोशी

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन ने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री पद का बड़ा दायित्व मिला था मगर अब हेमंत बाबू आ गए हैं। हमारे गठबंधन ने उन्हें फिर से अपना नेता चुन लिया है। गठबंधन की ओर से लिए गए फैसले के मुताबिक मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। चंपई सोरेन ने दो फरवरी को मुख्यमंत्री पद के शपथ ली थी मगर सत्तारूढ़ विधायकों की ओर से हेमंत सोरेन को फिर नेता चुने जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।

सत्तारूढ़ विधायकों की बैठक में नेता चुने जाने के बाद हेमंत सोरेन चंपई सोरेन के साथ ही राजभवन पहुंचे। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया से बातचीत की। हेमंत सोरेन की ओर से राज्यपाल के सामने नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया गया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन के साथ ही कई सत्तारूढ़ विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि किन विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा,यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है।


भाजपा ने बोला हेमंत पर तीखा हमला

नए मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की फिर ताजपोशी की तैयारियों के बाद भाजपा ने हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोला है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हेमंत सोरेन को इस साल 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और गिरफ्तारी से पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले कई समन जारी किए जाने के बावजूद हेमंत सोरेन पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे।

झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि झारखंड में अब चंपई सोरेन युग की समाप्ति हो गई है। परिवारवादी पार्टी में परिवार से बाहर के लोगों का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं होता। इसी कारण चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पर छोड़ना पड़ा है। मैं चाहता हूं कि उन्हें भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेनी चाहिए और भ्रष्ट हेमंत सोरेन के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।


लोकसभा चुनाव में कैसा रहा नतीजा

झारखंड में इस बार हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से 8 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा है जबकि कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11 सीटों पर जीत मिली थी और इस तरह पार्टी को तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।

2019 के लोकसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस को एक-एक सीट हासिल हुई थी और इस तरह दोनों सियासी दलों को इस बार के लोकसभा चुनाव में फायदा हुआ है। इसके साथ ही गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन जीत हासिल करने में कामयाब रही हैं।


भ्रष्टाचार और परिवारवाद को मुद्दा बनाएगी बीजेपी

सियासी जानकारों का मानना है कि हेमंत सोरेन के सिर पर कांटों का ताज सजने वाला है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हेमंत सोरेन के लिए विधानसभा चुनाव आसान साबित नहीं होगा। झारखंड में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इस चुनाव से पहले ही भाजपा ने हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दों को जोरदार तरीके से उछालेगी। इसके साथ ही भाजपा की ओर से परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी है। भाजपा ने कहा है कि सोरेन परिवार कभी सत्ता से दूर नहीं रह सकता।

2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर एनडीए को सत्ता से दूर करने में कामयाबी जरूर हासिल की थी मगर इस बार उनकी सियासी राह आसान नहीं होगी। लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत लगाने के बावजूद सत्तारूढ़ गठबंधन मनोवांछित नतीजा नहीं प्राप्त कर सका था। ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की चुनौतियों से निपटना हेमंत सोरेन के लिए आसान साबित नहीं होगा।





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