झारखंड भी किसानों के साथ, सरकार ने किया भारत बंद का समर्थन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किसान आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होने 08 दिसंबर को प्रस्तावित भारत बंद का समर्थन किया है। सीएम ने लिखा है कि, “देश के आन-बान- शान हैं हमारे मेहनती किसान।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किसान आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होने 08 दिसंबर को प्रस्तावित भारत बंद का समर्थन किया है। सीएम ने लिखा है कि, “देश के आन-बान- शान हैं हमारे मेहनती किसान।
देश के मालिक को मज़दूर बनाने के केंद्र सरकार के षडयंत्र के ख़िलाफ़ झारखंड में भी होगा उलगुलान। किसान अन्नदाताओं के पक्ष में झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार 08 दिसंबर को भारत बंद का पूर्ण समर्थन करता है”। इससे पहले भी मुख्यमंत्री कृषि क़ानूनों की मुख़ालफ़त करते हुए किसान आंदोलन के पक्ष में बयान दे चुके हैं।
किसानों के साथ खड़ी है कांग्रेस
झारखंड की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने भी कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का समर्थन किया है। झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा है कि, कृषि कानूनों से देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित होगी। कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियों में बदलाव आया है। औद्योगिक घराना खुदरा बाज़ार में प्रभुत्व जमाना चाहता है।
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लिहाज़ा, केंद्र सरकार ने औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों में संशोधन किया गया है। देश का खुदरा बाज़ार 12 हज़ार अरब से अधिक का है। लिहाज़ा, इसपर कब्जा ज़माने के लिए देश-विदेश की कंपनियां आगे आ रही हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि, केंद्र सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों में बदलाव किया है।
किसान आंदोलन को राजद का समर्थन
झारखंड की सत्ताधारी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। पार्टी ने 08 दिसंबर को प्रस्तावित भारत बंद को सफल बनाने का आहवान किया है। पार्टी की ओर से रविवार को रांची में एकदिवसीय धरना दिया गया और केंद्र की नीतियों का विरोध किया गया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने कहा कि, केंद्र सरकार किसान विरोधी कानून लेकर सामने आई है। लिहाज़ा, केंद्र का असली चेहरा सामने आ गया है।
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झारखंड सरकार और केंद्र में अनबन
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद से ही केंद्र और राज्य के संबंधों में टकराव की स्थिति रही है। कृषि कानूनों का राज्य सरकार ने शुरू से विरोध किया है। महागठबंधन की सरकार का मानना है कि, तीनों ही कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। लिहाज़ा, केंद्र की मोदी सरकार इसे वापस ले। कृषि क़ानूनों के साथ ही जीएसटी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और कोयला खदानों की नीलामी को लेकर भी राज्य सरकार मुखर रही है।
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पिछले दिनों ही केंद्र ने डीवीसी के मद में बकाया राशि को राज्य सरकार को बताए बिना रिजर्व बैंक के अकाउंट से ले लिया। इसे लेकर भी केंद्र और राज्य के बीच संबंधों में खटास आई है। अब किसान आंदोलन को समर्थन देकर राज्य सरकार ने एकबार फिर से केंद्र की मुख़ालफ़त की है। देखना है आने वाले दिनों में केंद्र और राज्य के संबंध सुधरते हैं या और बिगड़ते हैं।