JNU देशद्रोह मामला: सरकार की अनुमति के बिना दाखिल किया आरोप पत्र
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में 9 फरवरी 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान देशविरोधी नारे लगाए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में 9 फरवरी 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान देशविरोधी नारे लगाए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है।
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दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी
दरअसल, जेएनयू मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट के लिए दिल्ली सरकार ने अब तक दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है। बता दें कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन साल का समय लिया और अब जाकर चार्जशीट दाखिल हो पाई है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा था कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अगर यह सच है तो दिल्ली पुलिस को इस मामले में सबूत पेश करना चाहिए।
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दिल्ली सरकार के अनुमति लेना अनिवार्य
देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अनुमति लेनी होती है। इतना ही नहीं, अनुमति लेने के लिए फाइल एलजी के पास भी जाती है। अगर परमिशन नहीं मिली तो चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा। बता दें कि 19 जनवरी को मामले की कोर्ट में सुनवाई होनी है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने जिस दिन चार्जशीट पेश की उसी दिन परमिशन के लिए अप्लाई किया था।
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अगर दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो देशद्रोह की धारा स्वत: खत्म हो जाएगी। दिल्ली सरकार की अनुमति लिए बिना ही चार्जशीट दाखिल करने पर सवाल भी उठ रहे हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चार्जशीट में कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा 124ए लगाई गई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा 196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है, जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिली हो।