MP Elections 2023: मध्य प्रदेश में कड़े मुकाबले में फंसे कैलाश विजयवर्गीय, ब्राह्मण वोटों पर निगाहें, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर घेरकर बढ़ाई मुश्किलें

MP Elections 2023: इस बार मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय होने से पहले कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल में भाजपा प्रभारी की भूमिका निभा रहे थे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-11-09 03:48 GMT

Kailash Vijayvargiya  (photo: social media )

MP Elections 2023: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार जिन सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं,उनमें इंदौर की एक विधानसभा सीट भी शामिल है। दरअसल भाजपा ने इस बार इंदौर-1 विधानसभा सीट से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके बाद से ही यह विधानसभा सीट प्रदेश की हॉट सीटों में शामिल हो गई है। दस साल बाद चुनाव लड़ने के लिए अखाड़े में उतरे कैलाश विजयवर्गीय को इस बार कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है।

कांग्रेस प्रत्याशी के पास पैसे की ताकत के साथ कार्यकर्ताओं की फौज भी है। इसके साथ ही वे पिछले पांच वर्षों के दौरान कराए गए अपने कामों के दम पर मतदाताओं से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ने विधानसभा क्षेत्र में पूरी ताकत लगा रखी है और इसलिए विजयवर्गीय के लिए चुनावी राह आसान नहीं मानी जा रही है। सियासी जानकार भी क्षेत्र में कांटे का मुकाबला होने की संभावना जता रहे हैं।

जीत के लिए विजयवर्गीय का बड़ा सियासी दांव

इस बार मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय होने से पहले कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल में भाजपा प्रभारी की भूमिका निभा रहे थे। हांलाकि मध्य प्रदेश की सियासत में उनका चेहरा अनजान नहीं है मगर इसके साथ ही 10 साल बाद चुनावी अखाड़े में जीत भी आसान नहीं मानी जा रही है। विजयवर्गीय को चुनावी अखाड़े का दांवपेंच बखूबी आता है और इसी के दम पर वे चुनावी जीत हासिल करने के दावे कर रहे हैं।

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अपनी चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने हाल में एक बड़ा बयान भी दिया था। उनका कहना था कि चुनावी जीत हासिल करने के बाद पार्टी की ओर से उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके जरिए वे अपने क्षेत्र के मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी जीत के बाद क्षेत्र में विकास की रफ्तार काफी तेज हो जाएगी।


दुष्कर्म का केस छिपाने पर कांग्रेस ने घेरा

भाजपा को कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े सियासी कद के नेता के दम पर चुनावी जीत आसान लग रही है। वैसे विजयवर्गीय के चुनावी अखाड़े में उतरने से पहले कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला बेफिक्र नजर आ रहे थे मगर विजयवर्गीय की उम्मीदवारी से क्षेत्र के समीकरण में बड़ा बदलाव आया है। अब सारा चुनाव विजयवर्गीय के नाम का इर्द-गिर्द दिख रहा है और इसी कारण कांग्रेस के अरबपति उम्मीदवार संजय शुक्ला ने भी क्षेत्र में सक्रियता काफी बढ़ा दी है।

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विजयवर्गीय के नामांकन के बाद से ही कांग्रेस ने विजयवर्गीय पर छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में दर्ज केस को छिपाने का बड़ा आरोप लगाया था। खासकर पश्चिम बंगाल का मामला ज्यादा गंभीर है क्योंकि वहां पर विजयवर्गीय के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। कांग्रेस ने अब क्षेत्र में इसे मुद्दा बना लिया है और इसके जरिए लगातार विजयवर्गीय को घेरा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि क्षेत्र के मतदाताओं के बीच कैलाश विजयवर्गीय का असली चेहरा उजागर किए जाने की जरूरत है।


ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता होंगे निर्णायक

इंदौर-1 विधानसभा क्षेत्र को बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है मगर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने इस सीट पर जीत हासिल करके भाजपा को बड़ा झटका दिया था। 2018 में भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन गुप्ता को हार का मुंह देखना पड़ा था। क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि क्षेत्र में 22 से 25 फ़ीसदी ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं। इसके साथ ही करीब 19 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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इस इलाके में व्यापारियों को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसीलिए कांग्रेस ने व्यापारियों का समर्थन हासिल करने के लिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि विजयवर्गीय की जीत के बाद क्षेत्र में गुंडागर्दी बढ़ेगी जिससे व्यापारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस व्यापारियों की सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस प्रत्याशी व्यापारियों से संपर्क के दौरान क्षेत्र में वसूली और गुंडागर्दी की आशंका जता रहे हैं।


गुडबाजी दूर करने में जुटे हैं विजयवर्गीय

इलाके के जानकार लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक और हर तरह से सक्षम नेता को चुनावी अखाड़े में उतारकर कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनका मानना है कि भाजपा के लिए इस बार का चुनाव आसान नहीं होगा। विजयवर्गीय अभी चुनाव प्रचार के दौरान काफी सतर्कता बरत रहे हैं। वे क्षेत्र के पूर्व विधायक और मजबूत पकड़ रखने वाले सुदर्शन गुप्ता को हमेशा अपने साथ रख कर यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी में किसी भी प्रकार की गुटबाजी नहीं है।

बेटा बनाम नेता की लड़ाई

कांग्रेस प्रत्याशी खुद को क्षेत्र का बेटा बताते हैं और वे इस चुनाव को बड़ा नेता बनाम बेटा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान मैंने क्षेत्र के विकास में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। मैंने क्षेत्र में 600 बोरिंग करवाए हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों के दम पर मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार के चुनाव में बेटा जीतने में कामयाब होगा नेट नहीं। वैसे विजयवर्गीय और उनके समर्थकों की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है मगर उनके लिए चुनावी जीत हासिल करना इतना आसान भी नहीं माना जा रहा है।

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