कानपुर-बुंदेलखंड में 5-5 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी SP-BSP, BJP के किले को भेदने की तैयारी

2019 लोकसभा चुनाव की सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सपा-बसपा गठबंधन ने सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है। यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए सपा-बसपा गठबंधन में कौन किस सीट से लड़ेगा इसकी घोषणा हो चुकी है।

Update: 2019-02-22 05:07 GMT

कानपुर: 2019 लोकसभा चुनाव की सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सपा-बसपा गठबंधन ने सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है। यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए सपा-बसपा गठबंधन में कौन किस सीट से लड़ेगा इसकी घोषणा हो चुकी है। सपा 37 तो बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह पहली बार है जब सपा-बसपा एक साथ मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

कानपुर और बुंदेलखंड को बीजेपी का सबसे मजबूत किला कहा जाता है। सपा-बसपा ने बीजेपी के इस किले को भेदने की पूरी तैयारी कर ली है। कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटो में से 5 सीटों पर बसपा और 5 सीटों सपा चुनाव लड़ेगी। दोनों ही पार्टियों के बीच आधे-आधे का बटवारा हुआ है।

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बुधवार को सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे का एलान हुआ जिसमें जिसमे 38 लोकसभा सीटों पर बसपा और 37 लोकसभा सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी। इस गठबंधन ने 2 लोकसभा सीटें कांग्रेस और तीन लोकसभा सीटें रालोद के लिए छोड़ी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के साथ ही प्रियंका गांधी की एंट्री ने उत्तर प्रदेश के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। बीजेपी ने भी वर्तमान स्थिति को देखते हुए अपनी रणनीति बदल रही है।

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कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 5 सीट सपा के खाते में आई है जिसमे कानपुर, झांसी, कन्नौज, इटावा, बांदा की लोकसभा सीटे हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि कानपुर में सीधी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। तो वहीं कन्नौज, इटावा, झांसी और बांदा की सीट पर बीजेपी को सपा-बसपा गठबंधन से नुकसना हो सकता है, क्योंकि इन सीटों पर जातिगत आकड़ों की बड़ी भूमिका है।

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कानपुर-बुंदेलखंड 5 सीटें बसपा के खाते में गई हैं जिसमें कानपुर देहात की अकबरपुर, जालौन, मिश्रिख, हमीरपुर, फरुखबाद लोकसभा सीटें शामल हैं। यह वह लोकसभा सीटे हैं जो बसपा का गढ़ रही हैं। इन सभी सीटों पर बसपा 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी। पांचों लोकसभा सीटों पर बड़ी संख्या में बसपा के वोटर हैं। इसके साथ ही इस गठबंधन को ओबीसी और मुस्लिम वोटरों का भी साथ मिलने वाला है। इन सीटों पर सपा-बसपा के गठबंधन से बीजेपी नुकसान की आशंका है।

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बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर बीजेपी की जीत हुई थी। इनमें सिर्फ कन्नौज सीट पर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव अपनी सीट को बचा पाने में कामयाब हुई थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने कानपुर बुंदेलखंड की 52 सीटों में से 47 सीटों पर कब्जा जमाया था।

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