कर्नाटक में भाजपा हारी तो दक्षिण भारत में लगेगा बड़ा झटका,कई राज्यों के साथ मिशन 2024 की तैयारियों पर भी पड़ेगा असर
Karnataka Assembly Elections 2023: इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ भाजपा की निगाहें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी लगी हुई है। कई मजबूत क्षेत्रीय दलों ने पहले ही एनडीए से नाता तोड़ दिया है। बिहार में जदयू, पंजाब में अकाली दल और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का गुट पहले ही सिर्फ एनडीए से अलग हो चुका है।
Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को हुए मतदान के बाद अब सबको चुनावी नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। वैसे एग्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ती दिख रही है। अधिकांश एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। कई एग्जिट पोल उसे बहुमत के करीब बता रहे हैं तो कई में उसे बहुमत के पार बताया गया है। सिर्फ दो ही एग्जिट पोल ऐसे हैं जिनमें राज्य में भाजपा की सरकार बनने का दावा किया गया है।
कर्नाटक के चुनावी नतीजे 13 मई को घोषित होने वाले हैं। यदि अधिकांश एग्जिट पोल में लगाए गए अनुमान वास्तविकता में बदले और कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हुई तो यह भाजपा के लिए काफी बड़ा झटका साबित होगा। हाल के दिनों में कर्नाटक ही दक्षिण भारत में भाजपा का एकमात्र दुर्ग रहा है और इस दुर्ग के ढहने से दक्षिण भारत के अन्य राज्यों पर भी असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही चुनावी नतीजों का मिशन 2024 की तैयारियों पर भी बड़ा असर पड़ेगा।
भाजपा नेताओं को एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं
एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद जहां एक और कांग्रेस में उत्साह का माहौल दिख रहा है तो दूसरी ओर भाजपा नेता वास्तविक चुनावी नतीजे का इंतजार करने की बात कह रहे हैं। भाजपा नेताओं की ओर से दलील दी जा रही है कि कर्नाटक के संबंध में एग्जिट पोल के नतीजे पूर्व में गलत भी साबित हुए हैं। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी एग्जिट पोल में भाजपा को कम सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था जबकि पार्टी अनुमान से ज्यादा सीटें पाने में कामयाब रही थी।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा का भी कहना है कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहेगी। एग्जिट पोल के नतीजों की घोषणा के बाद भी येदियुरप्पा ने राज्य में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया।
वैसे अधिकांश एग्जिट पोल में कांग्रेस की मजबूती स्थिति देखने के बाद माना जा रहा है कि भाजपा को कर्नाटक में बड़ा झटका लग सकता है। कर्नाटक में कांग्रेस पहले से ही भाजपा पर भारी पड़ती दिख रही थी। हालांकि चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी के अन्य नेताओं के धुआंधार प्रचार से पार्टी की स्थिति में कुछ सुधार जरूर माना जा रहा है।
दक्षिण भारत में भाजपा की राह होगी मुश्किल
वैसे दक्षिण भारत में अधिक भाजपा की स्थिति को देखा जाए तो वह दक्षिण भारत में पहले से ही काफी कमजोर रही है। कर्नाटक में जरूर पार्टी ने अपनी स्थिति को मजबूत बना रखा है मगर केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में पार्टी अभी तक अपनी दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि भाजपा की ओर से इन राज्यों में मजबूती से पांव जमाने की कोशिशें जरूर की जा रही हैं।
तेलंगाना में केसीआर तो आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की सरकार सत्ता में है। केरल में माकपा ने पिछले चुनाव में भाजपा की दाल नहीं गलने दी थी। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्नाद्रमुक की लड़ाई में भाजपा और कांग्रेस दोनों की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं है। मौजूदा समय में इस राज्य में द्रमुक नेता स्टालिन की सरकार काम कर रही है। ऐसे में अगर भाजपा कर्नाटक की सत्ता से बेदखल हुई तो दक्षिण भारत में उसे बड़ा झटका लगेगा।
मिशन 2024 पर भी पड़ेगा असर
इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ भाजपा की निगाहें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी लगी हुई है। कई मजबूत क्षेत्रीय दलों ने पहले ही एनडीए से नाता तोड़ दिया है। बिहार में जदयू, पंजाब में अकाली दल और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का गुट पहले ही सिर्फ एनडीए से अलग हो चुका है। ऐसे में भाजपा को लोकसभा चुनाव को लेकर भी काफी मशक्कत करनी होगी। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अच्छा प्रदर्शन किया था मगर विधानसभा चुनाव में ममता को मिली बड़ी जीत के बाद इस प्रदर्शन को दोहराना भी भाजपा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।
भाजपा के लिए दक्षिण भारत का मिशन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि वह उत्तर और पूर्वी भारत में मिले झटके की भरपाई दक्षिण भारत की सीटों से कर सके। ऐसे में कर्नाटक के चुनावी नतीजे काफी अहम साबित होंगे। यदि भाजपा यहां अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुई तो आने वाले दिनों में दक्षिण भारत में उसकी राह और मुश्किल हो जाएगी। तेलंगाना में भी इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा तेलंगाना में केसीआर की मजबूत घेरेबंदी में जुटी हुई है मगर कर्नाटक से निकला संदेश तेलंगाना में भी असर डालने वाला साबित हो सकता है।