Hijab Ban: हिजाब बैन पर SC की टिप्पणी, अगर लड़के स्कूल में धोती पहनना चाहें, तो पहननें दें?

Hijab Ban: हिजाब बैन मसले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई की।

Written By :  aman
Update:2022-09-07 17:08 IST

Hijab Ban Case 

Hijab Ban Case Hearing in Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में बुधवार (07 सितंबर 2022) हिजाब मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने हिजाब मसले पर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के एक फैसले के खिलाफ सुनवाई की। बता दें, यह मामला कर्नाटक के स्कूल में यूनिफॉर्म के साथ मुस्लिम लड़कियों द्वारा सिर पर पहने जाने वाले एक 'स्कार्फ पर पाबंदी' को लेकर था।

गौरतलब है कि, लड़कियां स्कूल यूनिफार्म के साथ जो स्कार्फ लगाती हैं उसे ही आसान शब्दों में 'हिजाब' कहते हैं। याद करें कुछ महीने पहले इसी हिजाब बैन को लेकर कर्नाटक में बवाल मचा था। इस मामले पर आज सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की बेंच ने सुनवाई की। वहीं, अलग-अलग याचिका दाखिल करने वाले वकीलों ने अपनी दलीलें अदालत के सामने रखी। 

दलील कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वकीलों में से एक नाम है देवदत्त कामत (Devdutt Kamat) का। देवदत्त ने जब हिजाब को 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' (Freedom of Expression) का हिस्सा बताया, तो सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा, 'अगर कोई सलवार कमीज पहनना चाहता है, या लड़के धोती पहनना चाहते हैं, तो क्या इसकी भी अनुमति दे दी जाए? 

'अभी आप Right to Dress की बात कर रहे'

देवदत्त कामत ने अदालत के सामने बुनियादी अधिकार का सवाल रखा। बोले, संविधान का अनुच्छेद 19 (1) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) का अधिकार देता है। ये अधिकार क्या पहनना है? इसे भी सुनिश्चित करता है। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कामत से पूछा कि, 'अभी आप Right to Dress की बात कर रहे हैं। बाद में आप 'Right to Undress' की बात भी करेंगे। यह जटिल सवाल है। सर्वोच्च न्यायालय ने आगे पूछा, कि 'अगर कोई सलवार कमीज पहनना चाहता है, या लड़के धोती पहनना चाहते हैं, तो क्या इसकी अनुमति दे दी जाएगी?

कामत- हम यहां यूनिफॉर्म को चुनौती नहीं दे रहे

अपनी दलील में देवदत्त कामत ने कहा, 'यहां सवाल ये है कि क्या सरकार अनुच्छेद- 19, 25 और 26 के तहत स्टूडेंट्स को उनके उपयुक्त अधिकार देने में विफल रही है? हम यहां यूनिफॉर्म को चुनौती नहीं दे रहे। न ही ये कह रहे हैं कि कोई यूनिफॉर्म की जगह जींस या अन्य कपड़ा पहन ले? मेरी दलील ये है कि अगर कोई छात्र स्कूल यूनिफॉर्म पहनता है और तो क्या सरकार उन्हें अपने सिर पर स्कार्फ बांधने से रोक सकती है?' 

कामत ने कोर्ट से ये भी कहा कि, 'यहां (अदालत में) ऐसे हिजाब या जिलबाब की बात नहीं की जा रही जो सिर से पांव तक उन्हें ढंकता हो? हम यहां बात कर रहे हैं एक ऐसे स्कार्फ की जो स्कूल यूनिफॉर्म से मैच करता रहा हो। क्या उससे किसी की धार्मिक भावना आहत हो सकती है? या किसी छात्र की यूनिफॉर्म राष्ट्रीय सुरक्षा या शांति जैसे अहम मसलों को नुकसान पहुंचा सकती है?

कामत ने केंद्रीय विद्यालयों का दिया हवाला

देवदत्त कामत ने आगे कहा, कि 'केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalaya) में भी छात्राओं को हिजाब पहनने की छूट दी गई है। वहां स्कूल की छात्राएं यूनिफॉर्म से मिलती-जुलती हिजाब पहन सकती हैं। उन्होंने कहा, हमने यही दलील कर्नाटक हाईकोर्ट में भी दी थी। मगर, हाईकोर्ट ने ये कहते हुए दलील खारिज कर दी, कि केंद्रीय विद्यालयों का मसला राज्य सरकार के स्कूलों से अलग है।'

इन दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा, 'यहां बहस इस बात पर हो रही है कि क्या छात्राओं को 'युक्तिसंगत छूट' दी जा सकती है या नहीं। इस पर देवदत्त कामत ने कहा, कि ये एक 'बड़ा कानूनी मसला' है। इसलिए इसे 5 जजों वाली संवैधानिक बेंच पर ट्रांसफर कर देना चाहिए?

कोर्ट- 'आप इंडिया लौट आइए'

वकील देवदत्त ने कोर्ट में एक समय अमेरिका, ब्रिटेन सहित अन्य देशों की अदालतों के फैसलों का उदाहरण दिया। तब जस्टिस गुप्ता ने उनसे हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'आप इंडिया लौट आइए।' इस तरह लंबी जिरह के बाद इस मामले की सुनवाई को गुरुवार सुबह 11.30 बजे तक के लिए टाल दिया। हिजाब मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

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