Karnataka-Maharashtra Border Dispute: कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में किया जाएगा शामिल, विधान सभा में प्रस्ताव पास

Karnataka-Maharashtra Border Dispute: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा कदम उठाते हुए विधानसभा में दोनों राज्यों के बीच की विवादित जमीन को महाराष्ट्र में मिलाने का प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-12-27 15:14 IST

CM Eknath Shinde (photo: social media )

Karnataka-Maharashtra Border Dispute: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जारी सीमा विवाद का संकट गहराता जा रहा है। पिछले दिनों कर्नाटक द्वारा विधानसभा में राज्य के मराठीभाषी इलाकों को महाराष्ट्र को न देने संबंधी प्रस्ताव पास किए जाने के बाद अब महाराष्ट्र ने पलटवार किया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा कदम उठाते हुए विधानसभा में दोनों राज्यों के बीच की विवादित जमीन को महाराष्ट्र में मिलाने का प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ है।

महाराष्ट्र ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि विवादित इलाके में 865 मराठीभाषी गांव आते हैं और इनकी एक-एक इंच की जमीन महाराष्ट्र में मिला दी जाएगी। ऐसा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो भी करने की जरूरत होगी, वो महाराष्ट्र सरकार करेगी। मराठीभाषी ये गांव कर्नाटक की उपराजधानी बेलगाम, बीदर, करवर, निपानी और भल्की जिलों में है।

कर्नाटक विधानसभा से भी पास हो चुका है प्रस्ताव

सीमा विवाद को लेकर दोनों की राज्यों की राजनीति में उबाल आया हुआ है। कन्नड़ और मराठा संगठन सीमाई क्षेत्रों में सड़कों पर हैं। दोनों राज्यों में जमकर सियासी बयानबाजी हो रही है। महाराष्ट्र से पहले गुरूवार को कर्नाटक ने भी एक ऐसा ही प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराया था। इसमें कर्नाटक सरकार ने महाराष्ट्र को विवादित जमीन न देने की बात कही थी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद के लिए महाराष्ट्र को जिम्मेदार ठहराया।

वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कर्नाटक विधानसभा द्वारा पारित किए गए इस प्रस्ताव को जमकर आलोचना की और मराठी-विरोधी करार दिया। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद ऐसे समय में तूल पकड़ा है, जब दोनों की राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। कर्नाटक में अगले 5 माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्षी कांग्रेस सत्तारूढ़ बीजेपी पर जानबूझकर विवाद को भड़काने का आरोप लगा रही है।

महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का इतिहास

साल 1948 यानी आजादी के एक साल बाद मैसूर भारत का पहला राज्य बना। 1 नवंबर 1973 को मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया। उससे पहले साल 1956 में राज्य की सीमाओं को बढ़ाने के लिए गुलबर्गा, बीदर, धाडरवाड़,बेलगाम और बीजापुर को तत्तकालीन मैसूर राज्य में शामिल कर लिया गया था। इन जिलों में मराठीभाषी लोगों की अच्छी-खासी संख्या है।

महाराष्ट्र ने बेलगाम पर दावा किया था,जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में मराठी भाषा आबादी रहती है। महाराष्ट्र ने 814 मराठी भाषी गांवों पर दावा किया जो कि वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। इस फैसले को लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंसक विरोध – प्रदर्शन भी हुआ। तभी से महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा मुद्दे को लेकर विवाद जारी है।

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