Karnataka New CM: कर्नाटक में भी फंसा राजस्थान जैसा पेंच,शिवकुमार-सिद्धारमैया की तरह गहलोत और पायलट में भी उलझा था मामला
Karnataka New CM: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच खींचतान चल रही है और दोनों के समर्थक गोलबंदी में जुटे हुए हैं।
Karnataka New CM: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद वही स्थितियां दिख रही हैं जो 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में दिखी थीं। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच खींचतान चल रही है और दोनों के समर्थक गोलबंदी में जुटे हुए हैं। ऐसे ही हालात राजस्थान में 2018 में पैदा हुए थे जब अशोक गहलोत और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद पैदा हो गया था।
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2018 में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के फैसले की जिम्मेदारी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपी गई थी और इस बार कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल ने प्रस्ताव पारित करके कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को विधायक दल का नेता तय करने का जिम्मा सौंपा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि खड़गे शिवकुमार और सिद्धारमैया में से किसके नाम पर मुहर लगाते हैं। वैसे इन दोनों में से जो भी मुख्यमंत्री पद से वंचित होगा, उसे और उसके समर्थकों को नाराजगी से बचाना भी कम मुश्किल नहीं साबित होगा।
पहले से ही तय थी सीएम पद को लेकर खींचतान
कर्नाटक में इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा से पूर्व ही यह बात तय मानी जा रही थी कि यदि कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ तो डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच खींचतान तेज हो जाएगी। उम्मीद के मुताबिक वैसा ही नजारा दिख रहा है। कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व किसी भी नेता को सीएम पद का चेहरा नहीं घोषित किया था मगर इतना तो तय था कि कांग्रेस की जीत की स्थिति में शिवकुमार या सिद्धारमैया में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। कर्नाटक में इस बार कांग्रेस ने बड़ी सियासी जीत हासिल करते हुए 135 सीटों पर कब्जा किया है जबकि भाजपा 66 सीटों पर ही सिमट गई है।
कांग्रेस की इस बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कांग्रेस पर्यवेक्षक कर्नाटक के नवनिर्वाचित विधायकों का मूड भांपने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित करते हुए खड़गे को नया मुख्यमंत्री नामित करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। खड़गे इस मुद्दे पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी से चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुए हैं कि आखिरकार पार्टी हाईकमान की ओर से किसके नाम पर मुहर लगाई जाती है।
राजस्थान में भी चला था कई दिनों तक सियासी ड्रामा
कर्नाटक जैसे ही हालात 2018 में राजस्थान में भी पैदा हुए थे। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि भाजपा को 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
बसपा ने छह, माकपा ने दो,भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने तीन, राष्ट्रीय लोकदल ने एक और निर्दलीयों ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दिल्ली में कई दिनों तक सियासी ड्रामा चला था।
गहलोत के खिलाफ पायलट ने कर दी थी बगावत
दरअसल चुनाव के बाद अशोक गहलोत और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान तेज हो गई थी। पायलट ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया था। आखिरकार तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोनों नेताओं से चर्चा के बाद गहलोत के नाम पर मुहर लगाई थी जबकि पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया था। हालांकि पायलट से लेकर शुरुआत से ही असंतुष्ट रहे और 2020 में उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों को लेकर बगावत भी कर दी थी।
बाद में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दखल देने पर वे मान तो गए मगर उनके तेवर गहलोत के खिलाफ अभी भी तल्ख बने हुए हैं। उन्होंने अभी तक राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव बना रखा है। कांग्रेस हाईकमान आज तक इस विवाद का हल नहीं निकाल सका है। पायलट ने इन दिनों वसुंधरा राजे के कार्यकाल के कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग को लेकर जन संघर्ष पदयात्रा निकाल रखी है और वे लगातार इशारों में गहलोत पर हमला करने में जुटे हुए हैं।
अब कर्नाटक में भी राजस्थान जैसा विवाद
कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर राजस्थान जैसा विवाद पैदा होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री का फैसला करने से पूर्व सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों गुट सक्रिय हो गए हैं। राजधानी बेंगलुरु में तमाम स्थानों पर दोनों नेताओं के समर्थकों की ओर से पोस्टर लगाकर अपने-अपने नेता को भावी मुख्यमंत्री बताया जा रहा है। दोनों नेताओं के समर्थक भी नारेबाजी करके शक्ति प्रदर्शन करने में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस हाईकमान की मुश्किलें बढ़ीं
सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसे माहौल में कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री का फैसला करना कांग्रेस हाईकमान के लिए आसान नहीं साबित होगा। कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से जिस नेता के नाम पर मुहर लगाई जाएगी, उसके खिलाफ विरोधी खेमा आने वाले दिनों में सक्रिय हो सकता है।
कर्नाटक में कांग्रेस को जीत दिलाने में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों नेताओं ने बड़ी भूमिका निभाई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दोनों नेताओं से चर्चा करके विवाद सुलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अब सबकी निगाहें कांग्रेश हाईकमान के फैसले पर लगी हुई हैं कि आखिरकार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से किसके नाम पर मुहर लगाई जाती है।